SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 475
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૪૪૬ सिरिअणंतजिणचरियं परिवाडिचउक्के, वरिसपंचगं दिणदुगूणमासतिगं । पढमतवुत्तो कज्जो, पारणय विही-तवप्पणगे ॥ ५७१६ ॥ भद्दाइतवेसु तहा इया लया इग-दु-तिन्नि-चउ-पंच । तह ति चउ-पंच-इग-दो तंह पण-इग-दुन्नि-ति-चउक्कं ॥ ५७१७ ॥ तह दु-ति-चउ-पणगेगं तह चउपणगेगदोन्नि तिन्नेव । पणहत्तरि उववासा पारणयाणं तु पणुवीसा ॥ ५७१८ ॥ पभणामि महाभदं इग-दुग-तिग-चउ-पण-छ-सत्तेव । तह चउ-पण-छग-सत्तग-इग-दु-ति-तह सत्त-एक्कं दो || ५७१९ ॥ तिन्नि-चउ-पंच-छक्कं तह तिग-चउ-पण-छ-सत्तगेगं दो । तह छग-सत्तग-इग-दो-तिग-चउ-पण-तह दुग-त्ति चऊ ॥ ५७२० ॥ पण-छग-सत्तेक्कं तह पण-छग-सत्तेक्क-दोन्नि-तिय-चउरो । पारणयाणगुवन्ना छन्नउयसयं चउत्थाण ॥ ५७२१ ॥ भद्दोत्तरपडिमाए पण छग सत्तट्ठ नव तहा सत्त । अड-नव-पंच-छ-तहा नव-पण-छग-सत्त-अठेव ॥ ५७२२ ॥ तह छग-सत्तड-नव-पण-तुहट्ठ-नव-पण-छ-सत्त-भत्तट्ठा । पणहत्तर-सयसंखा पारणगाणं तु पणवीसा ॥ ५७२३ ॥ पडिमाए सव्वभद्दाए पण छ-सत्तट्ठ-नव-दसेक्कारा । तह अड-नव-दस-एक्कार-पण-छ-सत्तय-तहेक्कारा ॥ ५७२४ ॥ पण-छग-सत्तग-अड-नव-दस-तह सत्तट्ठ-नव-दसेक्कारा । पण-छ-तहा दस-एक्कार पण-छ-सत्तट्ठ-नव-य तहा ॥ ५७२५ ॥ छग-सत्तड-नव-दसगं एक्कारस-पंच-तह नवग-दसगं । एक्कारस-पण-छक्कं सत्तट्ठ य इह तवे होति ॥ ५७२६ ॥ तिन्नि सया बाणउया एत्थुववासाण होति संखाए । पारणयाण गुवन्ना भद्दाइ तवा इमे भणिया ॥ ५७२७ ॥ रयणावलिं कणगावलि-भद्द-महाभद्द-भद्दोत्तर-सव्वओभद्दाण ठावणा ॥ छ । पडिवईया एक्क च्चिय दुगं दुइज्जाण जाव पन्नरस । खमणेहमावसाओ होइ तवो सव्वसंपत्ती ॥ ५७२८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy