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________________ तवोवरिचंदकंतकहाणयं इक्कारस - तेर- बारस - चउदस - तेरस - य पनर - चउदसगं । सोलस - पनरस - सोलाई होइ विवरीय एक्कं तं ।। ५७०७ ॥ एए उ अब्भत्तट्ठा, इगसट्ठी पारणाणमिह होइ । एसा एक्का लईया, चउगुणाए पुण इमाए ॥ ५७०८ ॥ वरिस छक्कं मासदुगं च, दिवसाई बारस हवंति । एक्कं महासीहनिकीलियम्मि तिव्वे तवच्चरणे ॥ ५७०९ ॥ एयस्स ठावणा ॥ छ ॥ १.२.१.३.२.४.३.५.४.६.५.७.६.८.७.९.८.१०.९.११.१०.१२.११.१३.१२.१४.१३.१५.१४. १६.१५.१६.१४.१५.१३.१४.१२.१३.११.१२.१०.११.९.१०.८.९.७.८.६.७.५.६. ४.५.३.४.२.३.१.२.१. ॥ छ ॥ एगो दुगाइ एक्कग अंतरिया जाव सोलस हवंति । पुण सोलसाइ एगंतएक्कगंतरिय भत्तट्ठा ॥ ५७१० ॥ पारणयाण सट्ठी परिवाडिचउक्कगम्मि चत्तारि । वरिसाणि होंति मुत्तावलीतवे दिवससंखाए ॥ ५७११ ॥ एयस्स ठावणा ▬▬▬ १|२|१|३|१|४|४|१|५|१|६|१|७|१|८|१|९|१|१०|१|११|१|१२|१|१३|१|१४|१| १५|१|१६|१|१५|१|१४|१|१३|१|१२|१|११|१|१०|१|९|१|८|१२|७|१|६|१|५| Jain Education International ४४५ |४|१|३|१|२|१| ॥ छ ॥ इग-दु-ति काहलियासु दाडिमपुप्फेसु हुति अट्ठ तिगा । एगाइ सोलस वासरिया जयलम्मि उववासा ॥ ५७१२ ॥ अंतम्मि तस्स पयगं तत्थ कच्चाणमिक्क तह पंच | सत्त य सत्त य पण-पणतिन्निक्कं तेसु तिंग - रयणा ॥ ५७१३ ॥ पारणयदिणट्ठासी, परिवाडि चउक्कगे वरिसपणगं । नवमासा अट्ठारसदिणाणि रयणावलितवम्मि ॥ ५७१४ ॥ रयणावलीकमेणं, कीरइ कणगावली तवो नवरं । कज्जा दुग-तिगपए, दाडिमपुप्फेसु पयगे य ॥ ५७१५ ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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