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सिरिअणंतजिणचरियं
गोसे आगंतूणं देउ अग्गी इमस्स देहम्मि ।। तं सोउं सत्थवइप्पमुहो लोगो वलइ जाव ॥ ५५३९ ॥ तत्तो वसंतसेणाह मह इमा पियचिया निवासगिहं । ता हं ना गच्छामि त्ति, तो बला तं निवो नेइ ॥ ५५४० ॥ रायाइयम्मि निय निय ठाणम्मि गए समग्गलोगम्मि । बहुलम्मि परिफुरिए तिमिरे रयणी निसीहभवे ।। ५५४१ ॥ डमडमिय-भूरिडमरुय-उद्दामअरसपणासियसिवाओ । नियकज्जसिद्धकयकिलिकिलारवाऊरियनहाओ || ५५४२ ॥ मुक्कलबालाओ पणच्चिरीओ उक्खित्तकरकिवाणीओ । लल्लक्कमुक्कढक्काओ साइणीओ मिलेऊण ॥ ५५४३ ॥ नियडे उवविट्ठाओ चियाए तस्सम्मुहाओ सव्वाओ । तो हुंकारियविहिओ स चेयणो ताहिं सो कत्ति ॥ ५५४४ ॥ तो उद्धसरीरद्धं पमुक्कचिओ समुट्ठिओ सहसा । भणिओ य ताहिं रे पाव ! कालपासेण कलिओ सि ॥ ५५४५ ॥ तह अइकूराए कडिक्खिओ सि तं दुट्ठकालरत्तीए । मन्नसु कप्पियमप्पं उवायणे जेण नरिंदस्स ॥ ५५४६ ॥ नूणं अणज्जविहिओ तए पवासो इमो सदेसाओ । कज्जे महापवासस्स संपयं सोवसंपत्तो ॥ ५५४७ ॥ पडणाय च्चिय पावाण नूण जायइ निरासदुब्बुद्धी । कह मन्नहम्ह तुमए मुहाओ आइड्ढिओ राया ॥ ५५४८ ॥ सामरिसम्मि रिउम्मि अवयारो विरईओ अणत्थाय । होइ जओ ता इण्हि मरसि धुवं सहिय बहुदुक्खं ॥ ५५४९ ॥ इय जंपिरीण जंपइ जेट्ठा अविलंबमिच्छियं कुणह । तह विभयह एयंगावयवे जह गहिय भक्खेमो ॥ ५५५० ॥ तुह हत्थो तुह पाओ तुह मुहमुयरं तुह त्ति भणरितं । आयन्नंतो वग्गो जाओ सो साइणीवग्गो ॥ ५५५१ ॥
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