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तवोवरिचंदकंतकहा सो भणइ अंब ! कित्तीए नेव नामं पि धिप्पए कहसु । तीयुत्तं असई सा ता तन्नामं पि पावकरं ॥ ५०८४ ॥ पुत्तो जंपइ पढम, पावइ रेहं सइण मज्झे सा । अंबाह सा सई कह जीए गभो पियविओए ? ॥ ५०८५ ॥ तेणुत्तं मा मा अंब ! एवमुल्लवसु पावभरजणयं । जमिह अहं संपत्तो हुँतो सउणाण रयणीए ॥ ५०८६ ॥ तीए च्चिय मिलणत्थं, जं जंतेणं न साहियं किं पि । तो वसिय निसासेसे चलिओ हं तीए इय भणिओ ॥ ५०८७ ॥ गमणुस्सुया वि तुब्भे, गुरूण मिलिऊण जाह इण्हि पि । जेणमहं रिउन्हाया, ता मा मह चडउ असइत्तं ॥ ५०८८ ॥ भणियं मए पिए ! हं, लज्जामि गुरूण दंसणं दितो । . लज्जिज्जइ गुरुपुरओ, ईय कज्जे नायजाए वि ॥ ५०८९ ॥ जइ को वि किं पि जंपइ, ता दंसेज्जसु पिएहिं नामम्मि । मुद्दमिमं ति पयंपिय तं तीए समप्पियगओ हं ॥ ५०९० ॥ मह संतियम्मि गन्भम्मि अंब ! जइ होइ तीए असइत्तं । ता, होउ किं तु तं कहसु, जत्थ ठाणम्मि सा वसइ ॥ ५०९१ ॥ तीयुत्तमसद्धेयं झाउं, तुह पक्खिणा समागमणं । सा अइअलीयपरिभासिणि त्ति कलिया मए जाय ! || ५०९२ ॥ तुह अंगुलीयदरिसणसाहिन्नाणम्मि का किरइ पईई ? ।। जं भत्ताभरणाई न हुति किं भारियाण कए ? || ५०९३ ॥ निवपच्चक्खाए जाए. जाईयए सुद्धीए अयसपसरस्स । भीयाए मए कंठे धरिउं निद्धाडिया गेहा ॥ ५०९४ ॥ कन्नपुडकडुयकीले य पहणणकप्पं निसामिऊण तयं । पडिओ महीए मुच्छाए पच्छाईयलोयणो झ ति ॥ ५०९५ ॥ तो धाह धाह धाह त्ति जंपिए आगओ सेट्ठी । पुत्तं पेच्छइ मुच्छाविच्छायसरीरसंठाणं ॥ ५०९६ ॥
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