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________________ सीलोवरिरयणावलीकहा - ३४९ पालइ सयाउ चरडे य ताडए अयए य गुणविंदं । देवे वंदइ गुरुणो नमसए कुणइ सज्झायं ॥ ४४६३ ॥ भामइ जिणरहरयणाई, सव्वदेसेसु कयपयब्भमणो । दीणाण देइ दाणं, सम्माणं कुणइ संघस्स ॥ ४४६४ ॥ एवमणवज्जकज्जायरणुज्जमपत्तकंतिकित्तिस्स । वच्चंति वासरा तस्स राइणो गुरुपयावस्स ॥ ४४६५ ॥ अह अन्नया य रयणावलीए देवीए दुकयकम्मवसा । दुस्सीलयाववाओ, उल्लसिओ पुरपुरंधिजणे ॥ ४४६६ ॥ बालाओ तरुणीओ, थेरीओ महिलियाओ मिलिऊण । रयणावली कुसील त्ति बिंति पुरचच्चराईसुं ॥ ४४६७ ॥ भाऊहिं ससाओ सुया-पिऊहिं तह सहयरीओ दइएहिं । जणणीओ सुएहिं, तमेव बिंति वारिज्जमाणा वि ॥ ४४६८ ॥ एत्थंतरम्मि देवी, कुसीलयं जंपिरीओ रामाओ । दटुं पि अणीहंतो व्व झ त्ति मित्तो अवक्कंतो || ४४६९ ॥ सोउं सईए समुहं, अजुत्तमभिजंपिरीओ पावाओ । खणमेत्तं अरुणत्तं पत्ता संझा सरोस व्व ॥ ४४७० ॥ दुम्महिलाजणकुवियप्पकप्पणा कलुसया अमंति व्व । चत्ताओ विणिक्खंता पसरइ तिमिरच्छलेण जए ॥ ४४७१ ॥ सामलचउद्दसिनिसानिसीहसमयम्मि जग्गए जाव । राया ता आयन्नइ, सवंसवीणस्सरं गीयं ॥ ४४७२ ॥ तेणागरसियचित्तो, उट्ठइ पल्लंकतूलियं मुत्तुं । अइसुस्सरतरगीयावहरियहियओ विचिंतेइ ॥ ४४७३ ॥ एवं अमच्चलोइयमसुयपुव्वं च मज्झ पडिहाइ । नायन्नियं मए जमिह एरिसं कत्थइ कया वि ॥ ४४७४ ॥ दूरत्थेहिं वि सवणेहिं पावियं नियफलं सुसरसवणा । नयणाई पि हु दट्ठव्वं दरिसणेणं लहंतु तयं ॥ ४४७५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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