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सीलोवरिरयणावलीकहा पुव्वदिसाए नीओ नरेसरो पच्छिमाए पुण दइया । तो दासीदासमहल्लएहिं धाहावियं बहुहा ॥ ४२३० ॥ भो धाह ! धाह ! धावह, निज्जइ निवई नहेण स-पिओ वि । केणय अन्नयरेणं अमरा सुर-खयर-मज्झाओ ॥ ४२३१ ॥ तो धणुठवियसरा, धाणुक्का गुरुरएण धावंति । निसियासि खेडयकरा, विमुक्क हक्का य फारक्का ॥ ४२३२ ॥ वावल्ल-भल्ल-भल्ली-सेल्लाइपहरणग्गहणवग्गा । कक्कसहक्काहुंकारभीसणा पसरिया सुहडा ॥ ४२३३ ॥ जइ जाइ महिपहेणं ता तं पावंति ते तुरंता वि । अतरंता नहजाणे विलक्खवयणा पयंपंति ॥ ४२३४ ॥ नीयाइं दिसद्गम्मि देवो देवी य दो वि किं कुणिमो । आह-अमच्चो तुरए, सुवडियवेगेण परियडह ॥ ४२३५ ॥ मा कत्थइ गिरिकंदरसरितीरा रन्न-वण-निगुंजेसु । मुक्को देवो देवी व होइ जइ लहह ता सिग्धं ॥ ४२३६ ॥
आएसो त्ति भणित्ता सपरियणा मंडलीय-सामंता । तन्नयरचउप्पासं भमंति गुरुरयतुरयवडिया ॥ ४२३७ ॥ अगणियमग्गायासा, अकलियनिद्दा-छुहा-पिवासा य । सपियं निवनियंता सहति दुहमट्टापाहरियं ॥ ४२३८ ॥ दूरज्झियसिंगारा चत्तछत्ताइरायालंकारा । रायाणो वि हु हिंडं विपत्ति-वित्तीए सव्वत्तो ॥ ४२३९ ॥ गिरिदुग्गेसु निवडिया पविसियभमिया य कूवविवरेसु । अइदुप्पवेसवेल्ली पिणद्धगुम्मेसु वि पविट्ठा ॥ ४२४० ॥ न सयपयमेत्तं पि हु पुरबहिमहिमंडलं निवबलेहिं । मुक्कमनिरिक्खियं बहुजोयणमाणं चउप्पासं ॥ ४२४१ ॥ तह वि न वत्तामेत्तं पि तेहिं पत्तं नरिंद-देवीण । वलिया निरासहियया तो ते सव्वे वि दीणमुहा ॥ ४२४२ ॥
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