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रयणावलिका
अवरा वज्जरइ उमावई इमो सव्वया नयावासो । एयं महीहरसुयं गोरिं पच्चक्खमिक्खेह ॥ ४१७८ ॥ अन्ना उल्लवइ इमो हु सयं महो वज्जविलसिरकरो य । एसा एय सयासे समस्सिया निच्छएण सई ॥ ४१७९ ॥ एवं पयंपिरीओ नरवइरूवावहरियहिययाओ । रमणीओ मयणमग्गणगणप्पहारेहिं भिज्जति ॥ ४१८० ॥ निवतणुगयनयणाओ अन्नायसमविसमभूमिभागाओ । रायपहे खलणावडणविहुरयं जंति जुवईओ ॥ ४१८१ ॥ भालयलकयाहो सुहकरपल्लवहरियनयणरवितावा । दूरट्ठियाओ काउ वि नरवइमवलोययंति चिरं ॥ ४१८२ ॥ इय मयणनडिज्जंतं नववयरमणीयणं निरिक्खंतो । कय अक्खयनिक्खेवं थुव्वंतो नयरथेरीहिं ॥ ४१८३ ॥ अभिगिण्हंतो अग्घे ईसरघरदारकुलवहू विहिए । अवलोयंतो तरलयातोरणमालाओ मंचेसु ॥ ४१८४ ॥ सम्माणितो मित्ते हिंजो दाणाई दीणबंदीणं । गुरुरिन्द्विवित्थरेणं नियपासायं ति संपत्तो ॥ ४९८५ ॥ उत्तरिय सयं उत्तारिउं च कंतं करेणुरायाओ । अणुहविय मंगलायारमुत्तमं पविसइ सहाए । ४९८६ ।। आइसिय कंतमंतेउरम्मि निविसइ सयं सहा मज्झे । फुरियमणिकिरणनियरे राया सीहासणुच्छंगे ॥ ४१८७ ॥ उवविट्ठा मणिभद्दासणेसु अवरे वि नहयरनरिंदा । सम्माणिया य उत्तमवत्थाहरणप्पयाणेण ॥ ४९८८ ॥ कित्तियमित्ताइं वि वासराइं धरिडं विसज्जिया संता । पत्ता खेयरवइणो वेयड्ढे तयणु नरनाहो ॥। ४९८९ ॥ रक्खइ रज्जं पालइ पयाओ जसमज्जए महइ अहिए । वज्जेइ दुज्जणे गुणिजणस्स गोठि अणुट्ठेइ ।। ४९९० ।।
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