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रयणावलिकहा समगं भमंति समगं रमंति समगं पि दो वि भुंजंति ।। अन्नोन्नं अविउत्ताई ताई न मुणंति विरहदुहं ॥ ३७३६ ॥ समयंतरम्मि कम्मि वि नियपइपरिभोगसुहपसत्ताए । पाउब्भूओ गब्भो तीए कलहंसकंताए ॥ ३७३७ ॥ अणुवासरं पि परिवद्धमाणगब्भाणुभावविवसाए । मंदं मंदं गयणेण गम्मए रायहंसीए ॥ ३७३८ ॥ गब्भभरनीसहंगी परिचलणे वि हु किलेसमुव्वहइ । का वत्ताऽणवलंबणगयणंगणगमणविसयम्मि ॥ ३७३९ ॥ कइया वि रायहंसो तीए पगन्भाए भयहा भणिउ । मह नाह ! पसवसमओ निरुज्जमो तं पुणो दूरं ॥ ३७४० ॥ जइ कहवि देव्वदुव्विलसिएण दवपावओ इहुल्लसइ । ता नासिउं तरिज्जइ न मए नवपसवपीडाए ॥ ३७४१ ।। अवलोईय वेला वणदूरतरे दज्जवच्छु रहियम्मि । कम्मि वि तरुम्मि नीडं रयसु जहा तत्थ अच्छामो ॥ ३७४२ ॥ निव्विग्धं जह मह पसवियाए डिंभाइं जंति परिवुड्ढिं । इय तीए जंपिएणं पडिभणियं रायहंसेण ॥ ३७४३ ॥ का नाम तुज्झ दईए ! अणिट्ठचिंता इमा समुप्पन्ना । जइया जं संभविही तइय च्चिय तं करिस्सामो ॥ ३७४४ ॥ बहुसहससंखपक्खिसु एत्थ वसंतेसु को भओ तुज्झ । जं होयव्वं दूरं वि होइ तं ता दढा होसु ॥ ३७४५ ॥ इय रायहंसवयणा उ हंसिया सा ठिया दढा होउं । तत्थेवयप्पसूया अइपंडूरअंडयाण दुगं ॥ ३७४६ ॥ हंसो आणेऊणं नलिणीनालाई देइ कंताए । सा वि पसवुत्थपीडा विहुरा तं चुणइ ईसीसि ॥ ३७४७ ॥ एत्थंतरम्मि पडुपवणपसरवसवंसघससंभूओ । उच्छलिओ दावग्गी पज्जालियवणतणोहो ॥ ३७४८ ॥
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