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रयणावलिकहा
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तरुणि व्व विलासेणं सयत्थकव्वेण सुकइवाणि व्व । सा जुव्वणेण जुवजणमणोहरेणं अलंकरिया ॥ ३३७६ ॥ (कुलयं) लीलासु लालसत्तं भूतंडवडंबरे महारंभो । आसत्ती सिंगारे वियड्ढया वयणविन्नासे ॥ ३३७७ ॥ पागब्भं परिहासे पवीणया वीणवेणुगीएसु । नट्टम्मि नेउणत्तं जुव्वणजोएण जायं से ॥ ३३७८ ॥ (जुयल) नवरमइनिम्वियारा निक्कामा साहुचित्तवित्ति व्व । अइवाहइ दियहाई कोलंती सह वयस्सीहिं ॥ ३३७९ ॥ तं अच्चब्भुयरूवं समग्गसोहग्गमुत्तमगुणोहं । मग्गंति नहयरनिवा को न समीहइ रमणिरयणं ? || ३३८० ॥ भणिया पिउणा तं कहसु जो वरो पुत्ति ! तुज्झ पडिहाइ । जं मरणं तो दूरे सुहओ थेवो वि उवरोहो ॥ ३३८१ ॥ तं सोउं तीउत्तं ताय ! न रुच्चइ वरो वि हु वरो मे । “किं को वि कुणइ भोयणमविज्जमाण छुहलवे वि" ॥ ३३८२ ॥ जणयजणणीसहीहिं बहुओ भणिया वि मन्नए न वरं । दूरम्मि कुरूवे से नरे सुरूवे वि विद्देसो ॥ ३३८३ ॥ पावेण व नामेण वि नरस्स निसुएण सासमुच्चियइ । चित्तलिहिय नरं पि हु थिरं निरक्खइ न तरणिं व ॥ ३३८४ ॥ सिविणम्मि वि सच्चविए कंपइ पुरिसम्मि कालसप्पे व्व । जलणज्जालाए व नरकहाए संतावमुव्वहइ ॥ ३३८५ ॥ चित्तठियाए एयस्सरूवतणयाए भारिओ व्व निवो । उच्छहइ न चिंतिउं पि रज्जकज्जाइं किमु काउं ॥ ३३८६ ॥ चिंतइ चलचित्ताओ हवंति पयईय पुरंधीउ । किं पुण नवजोव्वणजायकोउउक्कलियकलियाउ ॥ ३३८७ ॥ ता जइ दुइंतुद्दामसेरसंचारिसिरियगणाओ । विसयापसत्तअसई सहीसमुभवकुसंगाओ ॥ ३३८८ ॥
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