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सिरिअणंतजिणचरियं कवलउ व कालकूडं खंडियजीहं च जाओ पंचत्तं । लहइ न जहा महेला विडंबणं जह मए लद्धा ॥ ३०५६ ॥ नारी निद्दयचित्ता लज्जामज्जायवज्जिया नारी । नारी कलंकहेऊ नारी पच्चक्खिया मारी ॥ ३०५७ ॥ आवासो दोसाणं मायाए मंदिरं अनयनिलओ । कोवस्स कुलहरं तह अणत्थपत्थारिया नारी ॥ ३०५८ ॥ एगेण वि पावेणं पडंति सत्ता दुरुत्तरे नरए । मह पुण पावपरंपरपुन्नाए ठिई कहिं होही ? || ३०५९ ॥ सद्दहइ जं न को वि हु पायं सत्थे वि सुव्वए जं नो । तं पि मह वेरिविहिणा दिन्नं सुयविसयमालिन्नं ॥ ३०६० ॥ विम्हरि हीने खणं पि हु एयं मे सव्वहा महापावं । ता मह मरणं सरणं जेण समप्पंति दुक्खाई ॥ ३०६१ ॥ इय चिंतंती भणिया तेण जहा जाषि सुयणु ! सावासे । इण्हं पि सदेसं पइ पयाणयं दुयमवि करेमि || ३०६२ ॥ अह चिंतइ सा एसो न कहिज्जइ वइयरो वरायस्स । एयस्स जमाजम्मं संपज्जिस्सइ असममसुहं ॥ ३०६३ ॥ इय चिंतिय सम्माणिय विसज्जिओ सो गओ सदेसम्मि । मरणेक्कमणा पच्छा मग्गइ अग्गि कयुववासो ॥ ३०६४ ॥ मिलिओ वेसावग्गो धसक्किया पुच्छए तमक्का वि । वच्छे ! जमग्गिसाहणकारणमम्हं तयं कहसु ॥ ३०६५ ॥ सा आह मह न कज्जं विडकोडिविडंबणापएणिमिणा । वेसाभावेण मओ अग्गि मग्गेमि तं देहि ॥ ३०६६ ॥ उववासाए तीए कया सत्त न वत्तं पि कुणइ भोज्जस्स । निवभणिया वि न मन्नइ तो से अग्गी अणुन्नाओ ॥ ३०६७ ॥ दिती दीणाईणं दाणे दविणं सुहासणासीणा । गंतुं गंगा तीरे चीयाए चडिया गहिय अग्गि ॥ ३०६८ ॥
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