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रणविक्कमकहा तम्मिं मयरद्धयरायपट्टदेवीए दिन्नमम्हाण । बहुमुल्लरयणदविणं वाहणमवि मणपवणवेगं ॥ ३०४३ ॥ मह जणएणं सद्धिं पइरिक्के किं पि जंपिऊण तओ । पट्ठविओ हं पिउणा कयसंकेएण दूर पुरे ॥ ३०४४ ॥ एत्तियकालो जाओ दइए न समागओ पिया मज्झ । तम्मि पुरम्मि पहे वा जायं जं से मुणामि न तं ॥ ३०४५ ॥ पासे च्चिय पाणीणं संपत्तीओ तहा विवत्तीओ ।। जं सुकयदुक्कयाई सेवयविंदा इव समीवे ॥ ३०४६ ॥ नवरं जइ जीवंतो ता चिट्ठतो न मं विणा जणओ । संभाविज्जइ अच्चाहियं पि से मह कुकम्मेण ॥ ३०४७ ॥ जणणिविओगो पिउगइअजाणणं जम्मभूमिविच्छोहो ।। अग्गितिगमिव पज्जलइ मह मणे कुंडतियगं व ॥ ३०४८ ॥ एसा पुण पज्जलिरे हुयासाण घणघयाहूई सुब्भु ! । जं मह नवनेहाए तुमए सह झत्ति विच्छोहो ॥ ३०४९ ॥ सुयणु ! तए मह ट्ठियए कयप्पवेसाए भारिओ व्व अहं । दुव्वहसिणेहनियवेगं तु न पयंपिउं पि सक्केमि ॥ ३०५० ।। तह वि अवस्सं गमणं भविस्सए मज्झ कज्जवसयस्स । खामोयरि ! खमियव्वं ता सव्वं मे जमवरद्धं ॥ ३०५१ ॥ तच्चरियं सोऊणं तं नाउं नियसुओ त्ति सा वेसा । चिंतइ अहो अकज्जं कहमह जायं सह सुएणं ॥ ३०५२ ॥ विहिणा विणम्मिया हं पभूयपावाण मंदिरं जं मे । दुस्सीलत्थवीसत्थमारणं च सपुत्तभोगो य ॥ ३०५३ ॥ जत्थुप्पज्जइ महिला सवरं गब्भो वि जाओ गलिऊण । अहव सिसुत्ते वि हु सा झत्ति गिलिज्जओ विडालीए || ३०५४ ॥ उग्गविसविसहरेणं खज्जउ वा दवउ व्व जलणेण । मरउ व सत्थप्पहया बुड्डउ व अगाहसलिलम्मि ॥ ३०५५ ॥
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