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________________ २३४ सा कड्ढियुग्गखग्गप्पहरणनिवाडए सिरं रन्नो । वीसत्थघाइणीओ हवंति जुवईओ पाएण || २९७९ ॥ पाविट्ठाए मा होउ मज्झ विग्घो पहे त्ति कलिऊण । दिन्नो बलि व्व चंडीदेवीए तीए हणिय निवं ॥ २९८० ॥ जव्वसएहिं तणं पिव जणणी जणयाइणो गणिज्जंति । पावाण ताण दुम्महिलियाणमवसाणमेरिसयं ॥ २९८१ ॥ धूमावलि व्व महिला मइलेइ महाणसं व निययकुलं । वाओली धूली इव कलुसई य जयं अकित्तीए ॥ २९८२ ॥ लोहासियासरती दारइ करवत्तदंतपंति व्व । भूकंपभेसियजया महिला उप्पायजाइ व्व ॥ २९८३ ॥ गुणमुक्का बाणस्सेणिय व्व लक्खं पि दारए महिला । पत्तविणासपसत्ता महिलाफग्गुणपवित्ति व्व ॥ २९८४ ॥ तमनासिय संमग्गा महिला विप्फुरियचारुतारनहा । कस्स न भयमुप्पायइ अमावसभूयरत्ति व्व ॥ २९८५ ॥ संजायरसुल्लासा सहंसया लक्खणासिया कुडिला । उव्वेयगोत्तभेए कुणइ महेला गिरिनइ व्व ॥ २९८६ ॥ उवयारी विस्ससिओ गुरुनेहपरो उदारचित्तो वि । पावाए हओ राया धिद्धी महिलाणमायरणं ।। २९८७ ॥ तो तीए चंडियारंगमंडवद्दारमत्तवारणओ । उट्ठाविय नियदईओ पयंपिओ चलसु जामो ति ॥ २९८८ ॥ अहं सहसा उट्ठेउं ठविओ भूमीए तेण जा पाओ । तो चंपिएण दुट्ठेण झत्ति दट्ठो भुयंगेण ॥ २९८९ ॥ अहिणा दट्ठो दट्ठो त्ति जंपिरो सो दडत्ति महिवट्ठे । पडिओ विसभीएहिं व मुक्को सहस त्ति पाणेहिं ।। २९९० ॥ गयपाणपियं दद्धुं निच्चेट्ठा सा वि निवडिया झति । गयजीविय व्व नज्जइ निप्फंदठियंगुचंगतणू ॥ २९९१ ॥ Jain Education International सिरिअणंतजिणचरियं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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