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रणविक्कमकहा जायइ सहीसुहेणं कन्ना रणविक्कम वरं पियरं ।। पोढंगणा वि लज्जइ इय भणिरी किं पुण कुमारी ॥ २५२६ ॥ पडिवन्नं रन्ना वि हु, वच्छाए हवउ वंछियमिमं ति । संतम्मि मणोभिमए, कन्नमणिलैंमि को देइ ॥ २५२७ ॥ परिणीया सा रणविक्कमेण सव्वुत्तमम्मि लग्गम्मि । खणिगं पि सुहमुहत्ते कीरइ कज्जं किमाभवियं ॥ २५२८ ॥ परिणयणाणंतरमेव राइणा तस्स रज्जसिरिअद्धं । दिन्नमदेयं वा किं किं पिउदारस्सरूवेण ॥ २५२९ ॥ गय-तुरय-रह-वरट्ठियसामंतावेढविलसिरसिरी वि । जं सो सहलारंभो, करिसयवित्ती य तं चित्तं ॥ २५३० ॥ सेट्ठिसुया वि हु पत्ता सयंवरा सा वि तेण परिणीया । अंगीकयसुरसरिओ सिंधू किं चयइ गिरिसरियं ॥ २५३१ ॥ अवरेहि वि मंडलियाइएहिं दिन्नाओ तस्स कन्नाओ । अवरो विवणीपावइ सव्वं पि हु किं पुण वराया ॥ २५३२ ॥ रणविक्कमेण ठविया मंडलियपए सहोयरा सव्वे । लच्छी स च्चिय सहला उपभुज्जइ जा सबंधूहिं ॥ २५३३ ॥ मोयाविऊण ससुरं गय-हय-रह-सुहड-कयदढावेढो । सयप्पसायदिन्ने, सेसे संतेउरो चलिओ ॥ २५३४ ॥ चिंधलंबद्धयछत्तसिक्किरीनियरचुंबिओ नहंतो । चउरंगचमूचक्काऊरियधरणीयलुच्छंगो ॥ २५३५ ॥ जय जीव नंद सुचिरं ति चारणुच्चरियचारुथुइवाओ । पत्तो सो अखंडपयाणएहिं पंचालदेसम्मि ॥ २५३६ ॥ तद्देसरायहाणीए भूरिअच्छरियचरियपउराए । फलिहुज्जलसालाए रम्मा रामाभिहाणाए ॥ २५३७ ॥ कयवंदणमालाए विविहं वरविहियहट्टसोहाए । संठियमंचाए पुरीए नरवई पविसइ सलीलं ॥ २५३८ ॥
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