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इय परिभाविय भणियं भो भो तं जोइराय ! वयणं मे । आयन्निऊण मन्नसु अवगन्नसु वा सइच्छाए ॥ २४६१ || भीमभवे भमिराणं, सत्ताणं उंबरस्स कुसुमं व । दुलहं चिय मणुयत्तं, जमजोग्गाणं न कल्लाणं ॥ २४६२ ॥ दुलहं पितयं लद्धं, निद्धम्मत्तेण कुणसु मा विहलं । कट्ठज्जियमियरं पि हु, वत्थुमुवेहिंति न सयन्ना ॥ २४६३ || जोई जंपर कहमह विहलत्तं कहसु माणुसभवस्स । सो आह तस्स का नाम सहलया जीववहकरणे ॥ २४६४ ॥ जीववहो सामन्नो वि दुग्गइं देइ नरयतिरिरूवं । किं पुण इत्थीण वहो तम्मि वहणं कुमारीण ॥ २४६५ ॥ नहर - क्खय- मित्तेणावि अत्तणो होइ जइ दुहं देहे । ता किं न तयं जायइ परस्स मारिज्जए जं सो ॥ २४६६ ॥ कडियमेत्तस्स वि अन्तणो व्व रक्खं कुणंति सप्पुरिसा । अवहत्थिय परलोया हणंति पावा पुणित्थीओ ॥ २४६७ ॥ एक्कम्मि वि पमाया जीवम्मि विणासिए हवइ पावं । तेसिं तु किं भविस्सर हयबहुजीवा तुमं पिव जे ।। २४६८ ॥ नियजीवयं पि दाउं एगे रक्खंति सावराहे वि । अवरे उ नरा ते च्चिय हणंति विगयावराहे वि ॥ २४६९ ॥ ते च्चिय भुवणे नंदंतुं, दुक्खए ससहरे व्व सव्वविए । करुणारसो पवड्ढइ जेसिं जलहिम्मि व जलोहो । २४७० ॥ एक्कं महिला बीयं तु बालिया तइययं पुण असरणा । तं कि जोइंद ! मणं, निक्करुणं जेण जायं ! ते ।। २४७१ ॥ दुब्बिलसियाई इयरे कुणंतु जं ते वि खेयपरिहीणा । तुम्हारिसा वि विउसा कुणंति जं ताइं तं चित्तं ॥ २४७२ ॥ तुह हियमिमं ति कहियं न अन्नपावाइं भुंजए अत्तो । तं कुणसु जमभिरुइयं खमसु अजुत्तं जमुत्तं मे || २४७३ ||
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सिरिअणंतजिणचरियं
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