________________
१७८
सिरिअणंतजिणचरियं
आयन्निऊण गणहरपुच्छं सव्वा वि चिंतए परिसा ।। नाऊण व अम्ह मणं, पुट्ठमिमं गणहरिदेण ॥ २२५४ ॥ आह जिणिंदो जसगणहरिंद ! निसुणेसु पुट्ठदिद्रुते । एगग्गमणो होउं साहिप्पंते सहासहिओ ॥ २२५५ ॥ रणविक्कमस्स दाणं, सीलं रयणावलीए सुतवो अ । सिरिचंदकंतरन्नो भावो सिंगारमउडस्स ॥ २२५६ ॥ (दाणोवरि रणविक्कम-निवकहा) एए सिवेक्कफलया, जह जाया तह पयासिमो तुम्ह । तत्थ रणविक्कमकहं, आयन्नसु दाणधम्मम्मि ॥ २२५७ ॥ अब्मलिहसुब्भअदब्भपरमपायारसपरिक्खित्ता । चउदिसि रम्मारामा, अत्थि पुरी विउलसाल त्ति ॥ २२५८ ॥ गुरुरायपहा रेहइ, पुन्निमरयणि व्व जा विगयभद्दा । गुरुप्पमाणवाइप्पयप्पयारा वुहसह व्व ॥ २२५९ ॥ करिसयवत्ती अगओ वि नायरहिओ वि सप्पचित्तो जो । विक्खायखत्तिओ वि हु पडुतरपंचिंदियपवित्ती ॥ २२६० ॥ तीए पुरीए कुडुंबी सो निवसइ. सीहविक्कमो नाम । सीहो व्व करचवेडाहयबहुमयजायजसपसरो ॥ २२६१ ॥ (जुयल) तस्सस्थि विक्कमवइ, जहत्थनामा पिया पियालावा । गोरी देहेण सई सहावओ देवयाओ व सा ॥ २२६२ ॥ तीए पुत्ता चत्तारि संति, ससि-कंति-कंतदंतपहा । केसवभुय व्व गय-संख-चक्क-सारंगकयसोहा ॥ २२६३ ॥ तप्पढमो दिट्ठभुयदंडचंडिमाडंबरुड्डमरमुत्ती ।। रणविक्कमो त्ति सुहजायलक्खणक्खायरायपओ ॥ २२६४ ॥ बिइय-तइज्ज-तुरीया पुत्ता नयरग्गलापलंबभुया । रिउविक्कम-हरिविक्कम-सुरविक्कमनामविक्खाया ॥ २२६५ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org