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अणंतजिणसंघवण्णणं ते वि हु बहु मन्नंति पहुवयणं, विणयविणयसिरकमला । तह पउमा संठविया, अज्जा वि पवत्तिणि-पयम्मि ॥ २२४१ ॥ तो पुव्वमुहसीहासणंमि, उवविसइ जिणवरो अणंतो । अह अग्गेयदिसाए, गणहरमुणिणो समुवविट्ठा ॥ २२४२ ॥ तप्पच्छा वेमाणियदेवीणुड्ढट्ठियाण अज्जाओ । पिट्ठीए संठियाओ, उड्ढट्ठाणट्ठिइधराओ ॥ २२४३ ॥ सम्मुहमवलोयंतो, गणहरविंदं समुद्दिसिय सामी । देसइ सिक्खागब्भं, पसत्थवयणेहि हियकारी ॥ २२४४ ॥ आयन्नह मुणिवइणो ! पयमेयं तिजयपत्तभूयाण । सच्छासयाण दिज्जइ छत्तीसगुणाण जेणुत्तं ॥ २२४५ ॥ बूढो गणहरसद्दो, भरहसुयाईहिं धीरपुरिसेहिं ।। जो तं ठवइ अपत्ते, जाणतो सो महापावो ॥ २२४६ ॥ तो तं पाविय तुब्भेहिं, पसमपीऊसवरिससुहिएहिं । भव्वाणमायरेणं, सया वि सद्देसणा कज्जा ॥ २२४७ ॥ सुत्तत्थपोरिसीसुं, सुत्तत्था विणय-पणयसिस्साण । वागरियव्वा निज्जरफलं ति सव्वायरेण सया ॥ २२४८ ॥ तह चरणकरणकिरियाकलावमणुसरियसीयमाणाण । सिस्साण चोयणा सइ कज्जा उवयारनिरएहिं ॥ २२४९ ॥ असमाणनाणसपहुत्त-गव्वमुज्झिय सया वि तुब्भेहिं । अप्पा वि रक्खियव्वो, पमायपंकम्मि खुप्पंतो ॥ २२५० ॥ इय निसुयजिणिंदअणंतसिक्खणोदारदेसणावयणा । इच्छामो अणुसट्ठि ति, बिंति गणहारिणो नमिउं ॥ २२५१ ॥ (दाणाइसु कहाओ) मइ-सुय-ओही-मण-पज्जवेहिं, नाणेहिं ताय नेउ वि । तयणु जसगणहरो, सव्वभव्वलोयावबोहत्थं ॥ २२५२ ॥ पुच्छइ पणामपुव्वं, पहुणो जे दाण-सील-तव-भावा । तुब्मेहिं साहिया ताण कहइ अम्हाण दिळेंते ॥ २२५३ ॥
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