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लोओ सिरेसु विहिओ, सव्वेहिं वि साहु- साहुणिजणेहिं । ताण सिरेसु नर - सुरा, खिवंति वासे सुतूर - सरे । २२२८ ॥ तोऽणंतबलनिवाईहिं, मंति- सामंत- सेट्ठिलोएहिं । सपिएहिं वि गहियाई सदंसणारं गिहिवयाई ।। २२२९ ॥ तिरियाण वि जायाओ, काण वि सम्मत्तदेसविरईओ । सम्मत्तं चिय पत्तं, केहिं वि सुर-नर- तिरिच्छेहिं ॥ २२३० ॥ केहि वि पत्ता बोही, जाओ अवराण भद्दगो भावो । नियजोग्गयाणुरूवो, लाहो भव्वाण संजाओ ॥ २२३१ || एवं चउविहो वि हु, संघो पढमे वि समवसरणम्मि | जाओऽणंतजिणिंदस्स, केवलुज्जोयदिणमणिणो ॥ २२३२ ॥ तो रायरिसीण जसाईयाण पणमित्तु पुच्छमाणाण । कहइ जिणो उप्पन्ने, विगमे व धुवे वईयतत्तं ॥ २२३३ ॥ तं माउयापयतिगं, निस्संकाऊण ते तदुवउत्ता । पुव्वभवाराहियनाणवससमुल्लसियबहुपत्ता || २२३४ ॥
सिरिअणंतजिणचरियं
तह निकाईय - गणहर-पय- पयवी-पत्त - पयरिसत्तेण । एक्कारस अंगाई, चउदसपुव्वाइं विरयंति ।। २२३५ ॥ जुयलं भिन्नं भिन्नं नाउं, दुवालसंगिं कयं निव - रिसीहिं । चउवि हु- सुरवइ - पमुहजण - जुओ उट्ठिओ सक्को ।। २२३६ ॥ सिय- उत्तरीयविरइयमुहकोसो भत्तिनिब्भरसरीरो । अइसुराहिवासपूरियथालकरो ठाइ पहु-पुरओ ॥ २२३७ ॥ तयणु अणुक्कमसंठिय जसाइसाहूण अणंतजिणराया । गणहरपयं पयच्छइ, भत्तिभरानमिरमुत्तीण ॥ २२३८ ॥ सुत्तेणं अत्थेणं उभएणं दव्वपज्जवेहिं च । नयगुणजुएहिं दितोऽणुन्नं सगणाणुओगस्स ॥ २२३९ ॥ तेसि सिरेसु सनरामर - सुरो खिवइ वासमुट्ठीओ । गिज्जंतमंगलालीसु वज्जिरे दुंदुहीतूरे ॥ २२४० ॥
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