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________________ १७२ २१७९ ॥ परनारिवज्जिय नरा परपुरिसविवज्जियाओ नारीओ । पूएज्जति सूरेहिं वि परमं च पवित्तयं जंति ॥ २१७७ ॥ जे पालयंति सीलं, विलसंते सुरनिरुत्तमे भोए । भोत्तूण णंतरं चिय, लहंति लहु सिद्धिसंबंधं ॥ २१७८ ॥ भणियं सीलं इण्हि, तवोविहाणं भणामि बारसहा । अब्भंतरं छभेयं, बज्झं पि हु छव्विहं होइ ॥ अणसणमूणोयरिया वित्तीसंखेवणं रसच्चाओ । कायकिलेसो संलीणया य बज्झो तवो होइ ॥ २१८० ॥ पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं तहेव सज्झाओ । झाणं उस्सग्गो वि य, अब्भितरओ तवो होइ ।। २९८१ ॥ इत्तरियं जावज्जीवियं च भेया भवंति दोऽणसणे । पढमं चउत्थ-छट्ठाई, तदियरं होइ मरणंतं ॥ २९८२ ॥ ऊणोयरिया ऊणयदत्तिकवलाण भोयणे भवइ । पच्चयघरसंखेवेण भोयणे वित्तिसंखेवो ॥ २९८३ ॥ दुद्ध - दहि- तेल्ल - घय - गुल - एक्कन्नाणेक्कगाइपरिहरणे । मोहोदयपसमत्थं, जइहिं कीरइ रसच्चाओ ॥ २९८४ ॥ कीरइ कायकिलेसे, भूसयणऽन्हाण लोयकरणाई । संलीणया अकज्जं अचलंऽगोवंगयाकरणा ।। २१८५ ।। छव्विहमवि तुम्हाणं बज्झमिमं साहियं तवच्चरणं । अब्भंतरं पि इहि, छव्विहमायन्नह कहेमि ॥ २९८६ ॥ सन्नाणचरणदंसणआसेवणे समयविहिअकहणे य । अवरम्मि वि पावम्मि, पायच्छित्तं जिणा बिंति ॥ २९८७ ॥ मोक्खत्थीहि विहेओ, विणओ गुरु- बाल - खवगपमुहाणं । कज्जं वेयावच्चं, इमाण असणाइणा जेण ॥ २९८८ ॥ पडिभग्गस्स मयस्स व नासइ चरणं सुयं अगुणणाए । साहुवेयावच्चकयं, सुहोदयं नासए कम्मं ॥ २९८९ ॥ Jain Education International सिरिअणंतजिणचरियं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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