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सिरिअणंतजिणचरियं
नाणाभयदाणेणं, सयासओ अन्नदाणमइसारं । जं सइ देहे नाणाई वद्धए सो हु अन्नेणं ॥ २१५१ ॥ भव्वेहिं साहियव्वा, सिद्धी तस्साहयं पुण सरीरं । न वहइ तमन्नरहियं, तद्दाणं सिद्धिअंगं ता ।। २१५२ ।। जिणपवयणं पभावइ, दितो भत्तीए असणपाणाई । पावरं य पुन्नपसरं, कमेण भव्वो सिवपुरं पि ॥ २१५३ || भणियं दाणं जंपेमि, संपयं सत्तरसविहं सीलं । पाणिवहपमुहा तम्मि, आसवा पंच-भेय इमो ॥ २१५४ ॥ पाणिवहो अलियवयणं, अदत्तगहणं च मेहुणं तुरियं । एयाणं पंचमओ परिग्गहो होइ विन्नेओ ॥ २१५५ ॥ एगिंदियाइ - पंचिदियंत - जीवाण सुहुमथूलाणं । पढमं तिविहं तिविहेण, रक्खणे होइ सीलंगं ॥ २१५६ ॥ जो सुहुम- बायरालीयवज्जओ तस्स बीयसीलंगं । सिलियं पि अदत्तं वज्जिरस्स जायइ तइज्जं से || २१५७ ॥ तिविहं तिविहेणामर - नर - तिरि-इत्थीओ वज्जमाणस्स । होइ चउत्थं तह पंचमं तु संतोसजुत्तस्स ॥ २१५८ ॥ फरिसण- रसणा घाणं चक्खू - सोयं च इंदियप्पणगं । निग्गहियं संपज्जइ, सीलंगत्तेण पणगं पि ॥ २१५९ ।। मिउ - कक्कसेसु फासेसु, तोस - रोसे सया न जो कुणइ । तस्स फासिंदिय - निग्गहुब्भवं होइ सीलंगं ॥ २१६० ॥ अइमहुर - कडुरसेसुं पसंस- निंदाओ उज्जइ सया जो । रसणिदियसंजमणुब्भयं से होइ सीलंगं ॥ २१६१ ॥ जो अइसुयं च दुग्गधं वत्थुविसयम्मि राय - उव्वेए । न पयासइ घाणिंदियजएण से लसइ सीलंगं ॥ २१६२ ॥ उब्भडरूवे कुरूवे रूवे, नो जस्स पहरिस-विसाया । अब्भुल्लसंति तं तस्स, चक्खुविसयम्मि सीलंगं ॥ २१६३ ॥
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