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अणंतजिणवण्णणं
१४१ एत्तो य सामि सिसिरो, पहु ! वणपत्तभत्तिउक्करिसा । उल्लसिरकुंदकलियावलिछडाल पयडए पुलयं ॥ १७७७ । विलसिरफलिहदलोवमहिमखंडेहिं अईवविमलेहिं । पहुणो मणस्स दंसइ व एस अच्चंतसच्छत्तं ॥ १७७८ ॥ इय सामिसालसेवं, कुणंति मित्त व्व तुज्झ रिउणो वि । अहव “जयबंधवाणं, अमित्तया नत्थि ति जए वि" ॥ १७७९ ॥ एत्तो य दाडिमी देव ! फुट्टफलदिस्सबीयपंतिदुगा ।। हसइ व्व पहिट्ठा तुम्ह दंसणे दंतपंतीहिं ॥ १७८० ॥ एत्तो सुपक्कलुंबी, नालियरी सामि ! सग्गसाहाहिं । दइएण पीणसिहिणी पिय व्व बाहाहिं पस्सित्ता ॥ १७८१ ॥ एत्तो य दाडिमी-दक्ख-कयलि-खज्जूरि-नालिएरीओ । दिति जणाण फलाई, सिरी सुपत्ताण परकज्जे ॥ १७८२ ॥ एत्तो वि हु कंकोलय-एला-कप्पूर-कुसुमतरलणओ । पवणो वि ट्ठिओ सुरही, सुमणसुसंगे न कस्स गुणो ॥ १७८३ ॥ एत्तो पुप्फवईओ, विरमंति लईयाओ सामि ! छच्चरणा । अहवा “महुपाईणं, कज्जाकज्जे कओ बुद्धी” ॥ १७८४ ॥ एत्तो य देव ! कुसुमावचयं कुव्वंति कुसुमियलयासु । लीलावईओ लीला चलक्कमा रणिरमंजीरा ॥ १७८५ ॥ एयाणं गुणजोगो होही ताहं इमाई गिण्हिस्सं । इय भाविऊण गुणअत्थिणि व्व कुसुमाई लेइ इमा ॥ १७८६ ॥ हरइ अहरस्सिरि मे, एयं ति पवत्तमच्छरभर व्व । उच्चिणइ सहत्थेणं, बाला बंधूय-कुसुममिमा ॥ १७८७ ॥ एयाई सुवन्नाई कज्जं, मज्ज वि सया सुवन्नेण । इय चिंतिउं व गिण्हइ पहु ! एसा वन्नकुसुमाइं ॥ १७८८ ।।
उत्तमजाई एसा, तामह जुज्जइ इमं परिग्गहिउं । . इय भावेउं व इमा, तं नियकरगोयरे कुणइ ॥ १७८९ ॥
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