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सिरिअणंतजिणचरियं पीवरपओहरुच्छंगसंगया मोत्तियावली जीए । मयणगयकुंभजुयले नज्जइ नक्खत्तमाल व्व ॥ १६६१ ॥ हारड्ढियनायगपउमरायपहपूरिया सहइ नाही । रायरसकूवियाई व रंजइ पेच्छइ जणं जीए || १६६२ ॥ जइ हुँतं कयलीणं खंभदुगं कुंकुमारुणं ता से । उवमिज्जंतं वित्ताणुपुव्वकणयाभऊरूणं ॥ १६६३ ॥ नूणं महासईए परागुवरायं पयप्पहारेहिं । पहणंतीए जीए जाओ राओ रयतलेसु ॥ १६६४ ॥ सा सव्वाण वि अंतेउरीणसामित्तपत्तजसवाया । तीए सह विविहकीलारसप्पसत्तो लसइ सामी ॥ १६६५ ॥ नाणुवभुत्तं खिज्जइ, कम्मं जिन्नं ति चिंतिउं नाहो ! ताहिं सह विसयसोखं उवभुंजइ नेव गिद्धीए ॥ १६६६ ॥ कुणइ य कयाइ दाणावगाढ-अइपोढहत्थिकीलाओ । गुरुवेगरंजियमणो कइया वि हु वाहए वाहे ॥ १६६७ ॥ कइया वि हु अमराणीयमणिविमाणेहिं नहयले भमइ । कइया वि पुणोऽलंकियसुवसणो पुरसिरिं नियइ ॥ १६६८ ॥ इय असरिसकोलारसविरायमाणं सुरोहकयसेवं । नियबाहुदंडिचंडिमतणतुलियतिलोयसुहडोहं ॥ १६६९ ।। वसिरं कुमारवासे, अट्ठट्ठमवरिसलक्खदेसीयं । दठूण भुवणनाहं विचिंतए सीहसेणनिवो ॥ १६७० ॥ (जुयल) अच्चंतभत्तसुगुणाणुरत्तसुररायपूयणिज्जपयं । रज्जेण तं कुमारं निवेसिउं जुज्जए मज्झ ॥ १६७१ ॥ इय चिंतिय रज्जोवक्कम निवो कारवेइ जा पउणं । ता सक्काएसेणं अमरा रन्नो तमुवणिति ॥ १६७२ ॥ नियइ निवो मणिकलसे, खीरोयहितित्थदहसलिलकलिए । नंदणकुसुमकसाए महानईणं च मट्टीओ ॥ १६७३ ।।
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