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अणंतजिणजम्मवण्णणं जो वेढिउ नीलिवणजुएण, नं नठु अइणभंजणभएण । जो कणयकूडविलसंतरयणु, भंडारु व सक्कह रुद्धगयणु ॥ १४७३ ॥ (७) जो कहिं वि भाइ ससिकिरणधवलु, नं जिणसिणाणखीरोयसबलु । जो कत्थइ घणपडिबिंबु वहइ, नं रिट्ठरयणतडजत्तु सहइ ॥ १४७४ ॥ पडिफलिय जस्स तडिचंदतरणि, नं राहुभीय अणुसरियसरणि । वालु व्व जु सिरचूडाभिरामु, रुरु व्व जु तमभरकयविरामु ॥ १४७५ ॥ जोहयहरिसरहिहि, रुरुकरिकरहिहि, संबरसदूलिहिं कलिउ । वरतरुकयवासिहिं, सिहं वयहंसिहिं कोइलपक्खिहिं संचलिड ॥ १४७६ ॥
तहिं एरिसि मंदरि तियसराउ, आरुहइ सबलु गयणसराउ । संपत्तु फलिह-हिमनिम्मलाए, अइपंडुपुव्वकंबलसिलाए ॥ १४७७ ॥ तत्थ ट्ठियम्मि सीहासणम्मि, मणिकिरणजालतमनासणम्मि । पुव्वामुहु तहिं सुरसामिसालु, निवसइ अच्चब्भुयसिरिविसालु ॥ १४७८ ।। (८) उच्छंगि धरइ तित्थयरबालु, करचरणकंतिनिज्जियपवालु । एत्थंतरि ईसाणिदिपमुह सुरवइचलियासणचारुभमुह ॥ १४७९ ॥ नियनाणनायजिणन्हवणसमय, ताडावहिं नियनियघंटसमय । तसु सद्दि सुरट्ठिय अप्पमत्त, जाणिय जिणमज्जण पमयमत्त ॥ १४८० ॥ तहिं जुत्त सुरेसरू, जलहरसमसुर, कप्पवासि नव संचलिय । भवणवइहिं वीसिय, ससि-रविमीसिय, मंदरसिरि सव्व वि मिलिय ॥ १४८१ ॥
एगतीस विनयसिरि तित्थनाह, उवविट्ठ जहक्कमु सिरिसणाह । तो वंतरजोइसईद पत्त, जिणदंसणि वियसियनेत्तपत्त ॥ १४८२ ॥ अह अच्चुइंदि आइट्ठ अमर, जिणनाहचरणतामरसभमर । जिणन्हाणोवक्कमु पउणयंति, हासइ उरि वडु परिव्वयंति ॥ १४८३ ॥ अट्ठत्तरुसहसु सुवन्नमयह, कलसहं कुणंति तह तारक्रयह । एवं चिय रयणविणिम्मियाहं, तह कणयरुप्पपरिकम्मियाहं ॥ १४८४ ॥ (९)
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