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________________ अणंतजिणजम्मवण्णणं १०९ तक्कालं चिय निच्चंधयारभरियासु नरयपुढवीसु । खणमेक्कं उज्जोओ, जाओ नारयकयपमोओ ॥ १३७१ ॥ तव्वेलं संजाओ, सुही समग्गो वि सत्तसंघाओ । अहवा भुवणब्भुदयाय होइ जम्मो जयपहूण || १३७२ ॥ मुंचंतो मिऊसुयंधो, जाओ वाउ य दाहिणावत्तो । दिसिसु वियासो फुरिओ वज्जति सयं च दुंदुहितो ॥ १३७३ ।। एत्थंतरे अहोलोगवासिणिप्पमुहदिसिकुमारीण । कंची-किरीड-कुंडल-केऊरालंकियंगीण ॥ १३७४ ॥ कुमुन्नयक्कमाणं, पीवरऊरूण पिहुनियंबाणं । खामोयरीण पीणत्थणीण सुकुमालबाहाण ॥ १३७५ ॥ बिंबाहरीण छणससिमुहीण उत्तट्ठहरिणनयणीण । छप्पन्नाण वि सीहासणाई चलियाई समकालं ॥ १३७६ ॥ (कुलयं) तो ओहिनाणनयणालोइयजिणजम्ममज्जणमहाओ । मुक्कासणाओ गंतुं, सत्तट्ठपयाई जिणसम्मुहं ॥ १३७७ ॥ कयपंचंगपणामाओ, भत्तिसंथुणियतित्थनाहाओ । वेउव्विय विमाणाई, झणिरमणिकिंकिणिगणाई ॥ १३७८ ॥ सुहसुहुमरयणपोग्गलविउव्वियंगीओ तेसु वडियाओ । सत्तहि अणिएहिं समं, सत्तहिं अणियाहिवेहिं च ॥ १३७९ ॥ चउहिं मयहरियाहिं, चउहिं सामाणियाण सहसेहिं । सोलसहिं अंगरक्खयसहसेहिं जुयाओ पत्तेयं ॥ १३८० ॥ अवरेहि य वंतरमिहुणेहिं जुत्ताओ सूइकम्मकए । सव्वाओ वि चलियाओ, भूरिविभूइप्पबंधेण ॥ १३८१ ॥ तहाहि - अट्ठ अहोलोगाओ, पभाओ जिणिंदजणणिसूइगिहे । सिद्धंतपउत्तेहिं, नामेहिमिमेहिं गीयाओ ॥ १३८२ ॥ भोगंकरा भोगवई, सुभोगा भोगमालिणी । तोयधारा विचित्ता य, पुप्फमाला अणिदिया ॥ १३८३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001445
Book TitleAnanthnath Jina Chariyam
Original Sutra AuthorNemichandrasuri
AuthorJitendra B Shah, Rupendrakumar Pagariya
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1998
Total Pages778
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Literature, Story, N000, & N001
File Size10 MB
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