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सिरिअणंतजिणचरियं सुयनियसुय-अच्चब्भुयचरिओ रोमंचिओ महीनाहो । सव्वंगं पि विरायइ वियसियधाराकयंबो व्व ॥ १०४८ ॥ खेयरदूयस्स निवो वत्थाभरणेहिं कुणइ सम्माणं । आइसई य पुरिसोहं पडिहारमुहेण सव्वत्तो ॥ १०४९ ॥ सम्मज्जिऊण गंधोदएण सित्ता पुरी समग्गा वि । रंगावलीओ रइयाओ पइ-गिहं तोरणतलेसु ॥ १०५० ॥ विहियाओ हट्टसोहाओ हारि-हारालिचारुवत्थेहिं । नेत्तद्धयालिखलहलिरघग्घरा संठिया मंचा ॥ १०५१ ॥ दुइयदिवसम्मि गोसे वज्जंताउज्जगहिरघोसेण । उम्मीलिया नहे कुमरवाहिणी बहिरियदियंता ॥ १०५२ ॥ चिंधालं बद्धयछत्त-सिक्करीसयपणट्ठ-रवि-तावा । पणिचत्तमणिविमाणस्सेणीसिंगारियनहं वा ॥ १०५३ ॥ गयघड-हयघट्टरहो, जोहरूवारएण अइगुरुणा । रिट्ठउरी नयरी परिसरम्मि, अचिरेणमवइन्ना || १०५४ ॥ तो मंति-मंडलेसर-सामंत-महायणाइओ लोगो । पत्तो पच्चोणीए कुमरस्सं नरेसराएसा ॥ १०५५ ॥ जह जोग्गं सम्माणो विहिओ पणयाण ताण कुमरेण ॥ तंबोल-वत्थ-भूसण-करि-तुरय-पमुहदाणेण ॥ १०५६ ॥ तो आरूढो सिंगारिगए छत्तअंतरियतरणी । तरुणरमणीकरुद्धूयचामरो रईय सिंगारो ॥ १०५७ ॥ चउरंगवाहिणीविंदपरिगओ वंदिजणियजयसद्दो । पविसइ पुरीए मज्झे नवदइयालंकिओ कुमरो ॥ १०५८ ॥ अवलोयइ पेच्छणयाई नाडयाई निरिक्खइ सलीलं । रायपहम्मि पेच्छइ लउडा-रस-रासयसमूहं ॥ १०५९ ॥ निज्झायइ पेरणिए दिदिठ संठवइ मल्लजुज्झेसु । संठवइयमंचेसु छुरिया विज्जाहरविणोआए || १०६० ॥
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