SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 468
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बाल ] शब्दकोश [१६३ -फट्ट धातु (हे० ४.१७७) का भू. कृ० (-फूटा हुआ) फुड-स्फुट (= स्पष्ट) १.१६.२. -फुडय १.२०.५. Vफुर-फुट (= फरकना) वर्त० कृ० फुरंत १४.४.६. फुलिंगार-स्फुलिंग १२.११.५. फुलिंगुग्गार-स्फुलिंग+ उद्गार १४.१५.५. फुल्ल-त स ( = फूल) १.५.३,२.४५.५. Vफेड-स्फेटय (हे. ४.३५८ = विनाश करना) मा० द्वि० ए० फेडि १६.१.११. वर्त० कृ० फेडत ६.१०.४. पू. कृ० फेडिवि ४.१.१. क्रि० कृ० फेडणहि १०.८.६. फेडन-स्फेटन १.१.६. फेण–फेन ११.७.१३. बंभचेर-ब्रह्मचर्य ४.८.४१४.३०.६ बंभबल-ब्रह्मबल ( = दूतका नाम ) १.६.. बंभिद-ब्रह्मन् + इन्द्र ४.६.५ बंभोत्तर-ब्रह्मोत्तर ( - छठवां स्वर्ग) १६.५.४१६.६.३ बत्तीस-द्वात्रिंशत् ६.३.१;८.१७.३ बद्ध-त स बन्धका भू० कृ० ६.१.१;७.१.२,१०.६.१; ११.६.२०१२.१.७,१२.६.११ वद्धण-बर्धन (=बढ़ानेवाला) ११.६.६ बद्धपूर्व-(= पहलेसे बधा हुआ) ६.१५.१२ बद्धाउस-बद्ध + आयुस (=जिसने भायुकर्मका बंध किया है ) ३.६.१० बद्ध-वर्धय् धातुका आ. द्वि. ए. (= उत्कर्ष पाओ) ४.११.६ बधिर-त स ३.८.११ बप्प-(= पिता-दे ना० टी० ६८८) ११.६.४ बह्मदत्त-ब्रह्मदत्त ( = बारहवां चक्रवर्ती) १७.१६.८ बल-त स ( = सेना) १.६.४,१०.१.२,११.२.८ */बहस-उप + विश (= बैठना) कर्म० वर्त० त० ए० बइसिज्जइ ७.३.३१८.१.२. बउल-बकुल (वृक्ष) १४.२.७. बंदिग्गह-बंदीगृह (= कारावास) १३.१.१. बंदिण-बदिन (= स्तुति पाठक) ६.१.७,१०.७.८. बंदीवर-(=स्तुतिपाठकोंमें श्रेष्ठ) ५.११.४,१३.१२.६,१४.५.६ बंध-त स ( = बंधान ) | बंध-त स (= जीव पुदगल संयोग) १.१.०२.१२.२ Vबंध-बन्ध (= बांधना) वर्त० तृ. ए. बंधइ ३.३.८ वर्त० तृ. ब. बंधहि ३.५.८ आ० द्वि० ब० बंधहु १.१८.४ वर्त० कृ० बंधत ७.१२." कर्म० वर्त० तृ० ए० बज्झइ ३.६.७ कर्म० वर्त० कृ० बज्झत १४.५.६ पू० कृ० बधिवि २.१५.२ बंधण-बंधन २.११.५९४.३.११ बंधव-बांधव १.८.७१.८.८१.१८.6;५.६.८६.८.३; १०.४.१५.१०.७ बंधु-त स८.११.४९.१.५ बबूल-बबूल (वृक्ष) १४.२.६ बंभ-ब्रह्म ( = पांचवां स्वर्ग ) १६.५.४,१७.२०.६ बंभण-ब्राह्मण १.११.४,१.११.६,२.६.५,१०.५.८ स्त्री-बंभणी १३.८.१५ बल-त० स०( =शक्ति) १०.४.१,११.११.४ बलभंड-(= जबरदस्तीकी लड़ाई) १८.२.७ बलवंत-बलवान् ११.८.७ बलि-बली (= छठवां प्रतिवासुदेव ) १७.२२.५ बलि-त स (= हवि ) ११.११.१२ बलिकरण-त स ( =हवि) १४.१०.७ . बलियय-बलिक + क ( = बलवान् ) ५.४.६ बहल-त स (=अनेक, प्रचुर) १.७.६;८.५.१ बहिरियय-बधिरसे नाम धातु तथा उसका भू० कृ० ६.१.१० बहु-त स (=अनेक ) १.३.१,१४.२१.३ -बहुय १७.२०.. बहुत्त-बहुत्व १३.५.३ बहुविह-बहुविध (= नाना प्रकारका ) १.२.४ बहविविह ५.१०.२ बाण-त स ५.१०.२ बायाल-द्विचत्वारिंशत् ( = बेयालीस) १७.७.४ चारवइ-द्वारकावती ( नगरी) १७.२१.४ बारस-द्वादश ३.१३.८ बारह-द्वादश ३.१.४३.७.६३.११.१०४.२.१५.८.८ बारहमय-उ-द्वादशम ७.२.६ बाल-त स(= बालक) २.६.४,२.६.५,२.१०.४; ..१२.६६.१.११०.३.२,१३.१८.६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy