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________________ १५८] पार्श्वनाथचरित [पराइपराइअ-पराजित १२.६.१३ परियरिय-परिकरित (= परिवृत्त) २.७.११.१०.४.४ पराइय-परागत (=प्राप्त ) ११.१२.१३,१५.५.३ -परियरियय ५.४.५,१४.२६.. पराई-परकीय १८.२.३ Vपरियाण-परि + ज्ञा पराहव-पराभव १.१६.३,१२.६.४,१४.२८.७ वर्त० तृ० ए परियाणइ १.११.६ परिओस-परितोष ११.१.३ भू. कृ० परियाणिय १.२१.७८.१८.११,११.३.३ /परिकर-परि + कृ (= करना) पू० कृ० परियाणिवि १.१३.१३;८.८.५,१२.४.१२ ___वर्त० तृ० ए० परिकरइ १.१५.५ परियारिय-परिचारित (=ज्ञात) ७.२.. परिखीण-परिक्षीण ७.१२.. परिवार-त स ८.१.८,१६.१६.११ परिगरिय-परिकरित( = परिवेष्टित ) ८.२.० ८.१३,२; Vपरिवेढ-परि + वेष्ट भू. कृ० परिवेढिय ६.४.१ परिगलिय-परि+गलका भू. कृ० ११.८.१०,१७.७.२; परिसंख-परिसंख्या १७.१४.१० १८.८.४ परिसंठिय-परिसंस्थित १०.११.६ परिग्गह-परिग्रह ४.८.५,१३.१२.३ V परिसक-परि + वक् (= चलना) परिट्ठिय-परिस्थित ६.७.६;६.१६.३;८.१.१२,११.६.१०; वर्त० तृ० ए० परिसक्का १२.१३.६ ८.२२.१ V परिसेस-परि +शेषय (= त्यागना) परिठविय-परि + स्थापित ६.७.३. भू० कृ० परिसेसिय १.१८.१० -परिठाविय १५.११.१ पू० कृ० परिसेसिवि १३.१८.३ Vपरिण-गरि + नी (=विवाह करना) परिहण-(=परिधान देना ६.२१) १.१३.१ आ० द्वि० ए० परिणि १३.१.३ Vपरिहर–परि + हृ प्रे० भू. कृ. परिणाविय १.१०.१० वर्त० तृ० ए० परिहरेइ ३.१०.१० आ० द्वि० ए० परिहरि १.१४.११ परिण-परेण १६.१४.७,१६.१६.३ आ० द्वि० ए० परिहरहि ५.५.१० परिणविय-परि + णम् का भू० कृ० (=प्राप्त) १.१२.५ वर्त० कृ० परिहरत २.८.२;३.१५.२ परिणिव्वुइ-परिनिवृत्ति १.१३.५ भू. कृ. परिहरिय १.१८.२,२.६.८१७.१.१२ परितुट्ठ-परितुष्ट १३.६.४ पू० कृ० परिहरिवि १.५.१,२.६.१६:११....१६. परितविय-परितपित ७.१३.३ १२.८.२ /परिपाल-परि + पालय -परिहरेवि-.... ___ आ० द्वि० ए० परिपालि २.५.२,५.६.४ परिहव–परिभव १.२३.८२.४.४८.१.५. परिपाल-(=पालन करनेवाला) ६.१८.७ परिहविय-परि + भू० का भू० कृ (= तिरस्कृत) १..... परिपालण-परिपालन २.६.५ परिहारसुद्धि-परिहारशुद्धि १४.१.३,१६.१.१ Vपरिभम-परिभ्रम् परिहविय-परि + धापयका भू.कृ (=पहिनाना) ८.२२.२; वर्त० तृ. परिभमइ १.२३.८ परिभविय ? (व्याप्त)... परीसह-परीषह ३.१.८८.२२.८ परिभाव-१८.१०.४ परोक्ख-परोक्ष २.५.७ परिभाविय-(= भावोंसे युक्त) ६.१५.१ परोप्पर-परस्पर १.१५.६ परिमल-त स ८.५.१;८.१६.८ -परोपरं ८.२०.२ परिमाण-त स (मान-माप) ३.१.११,३.१०.३ पलंब–प्रलम्ब (= लम्बा) २.६.१,५.३.७१४.१३.. परिमिय–परिमित (=घिरा हुआ) १.६.६६.११.३६.१४.१; Vपलंब–प्र+ लम्ब् (=लटकना) ८.१२.१ वर्त० कृ० पलंबत १२.१.५ -परिमियय-उ१.७.८ पलय-प्रलय ६.१०५८.१३.५,११.६.१५,११.१३.५% परियण-परिजन १.११.११,३.६.१०,६.१.२ १२.१०.१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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