SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 291
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५८] पउमकित्तिविरइउ [१७, २१, ५अण्णभवंतरि करिवि महातउ दसण-सुद्धि-रहिउ मंणि भंतउ । हव-भोग-रहिय विदाणा मुहु कंखंत मरहिं सणिदाणा । सुरहि मज्झि होएवि पहाणा आइवि महिहि होहिं" पुणु राणा । मुंजिवि 'सॉक्खइँ विउल-विसालइँ पुणु पंचैते जाहि णरगालइ । पत्ता- अतुल-महाबल-पहरण हलहर केसव राणा।। ____ उप्पज्जहिं णेह-णिरंतर भरहहाँ आसि पहाणा ।। २१ ॥ २३ मुणि एवहिँ णव पडिवाएंव उत्तम-कुल-रूव-भडावलेव । पहिलउ हयगीउ महंत-तेउ जसु धरणिहि पयडिउ जे अणेउ । तिखंड-णाहु तौरउ गरिंदु मेरउ वसुहाहिउ रिउ-मइंदु । महुकीडउ चउथउ भुवण-मल्लु णीसंभु णराहिउ वइरि-सल्लु । बलि बलियउ पहु पल्हाँउ आसि राँवणु जरसिंधु वि तेयरासि । णव एव महाबल धीर वीर . चक्काउह-पहरण दिढ-सरीर । सणिदाण-घोर-तव-तविय सेस उग्गःव जिण कय लिंग-वेसे । सग्ग-च्चुय णव पडिवासुएव ।। उप्पज्जहि भारहि णाइ देव । पत्ता-- जुझंत महाबल-दप्पिय विहि मि राहिव णरवरहि। णिय-चक्क-पहारहिं घाइय बल-णारायण-दुद्धरहि ॥ ३२ ॥ णिसुणेविणे जिणवर-सयल एउ रविकित्तें पर्णविवि देव-देउ । सम्मत्त-अणुव्बय-भारु लयउ पडिवण्णु सयलु जं जेम कहिउ । तहि अवसरि सिरि-रविकित्ति-दुहिय उडिवि जिण-चलणेहि णविवि मुहिय । थिय-दिक्खहि अज्जिय-गणहाँ पासि पालणहँ लग्ग तव-णियम-रासि । परमेसरु चउ-विह-संघ-जुत्तु . सहु देवहि सउरीपुरिहि पत्तु । तहि वसइ णराहिउँ जस-विसालु णामेण पहंजणु पुहवि-पालु। ६ ख-मण । ७ ख- दूसव । ८ ख- मझे होइवि । ९ ख- आविवि । १० ख- होति । ११ ख- सुक्खई। १२ क- पंचत्ति । १३ ख- अद्धे । (२२) १ क- "देव । २ क- कुलि । ३ क- अजेउ । ४ ख- तिखंड । ५ ख- णारउ । ६ ख- कीड चउत्थउ । ७ स्व- पण्हाउ । ८ ख- रामण जगसेंधु वि । ९ ख- एइ । १०त्तय णिय । ११ ख- 'धेस । १२ क- गरेहि धुणंद्धर । १३ ख- यणि । (२३) १ णेवि जिणंतरु सं। २ क- "विउ । ३ ख- परमदेउ । ४ ख- उठेवि । ५ स्त्र- 'णिहि । ६ क- गणह । ७ ख- सुअरी। ८ क, स्त्र- 'पुरहि । ९ ख- हिव । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy