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-१७, ५, २]
पासणाहचरिउ
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तिहुअणहाँ असेसहाँ जं जि' सरणु तं राएँ दीसइ समवसरणु। गणहर सुर असुर गरिंद दिट्ठ विजाहर णरवर रिसि बइट। संभासिवि सयल अणुक्कमेण
बइसिज्जइ थाणंतरि कमेण । णरणा, पणविवि देव-देउ
पुच्छिउ तिसहि पुरिसाण भेउ । उप्पति केम कहि कुलयराहँ
दस-भेय-कप्पवर-तरुवराह । चउवीस-परम-तित्थंकराहँ
छक्खंड-पुहवि-परमेसराहँ। हलहर-णारायण-रिउ-णराहँ| इह चउ-विह-संघहाँ गणहराहँ । उच्चत्तु गोत्तु बलु आउ णाउ उप्पत्ति रज्जु कहि केमे थाउ । घत्ता- अवसप्पिणि-उवसप्पिणिहि छहि भेयहिं जं संठियउ ।
कहि काल-चक्कु परमेसर कह इँउ वहइ अणिट्ठियउ ॥ ३ ॥
परमेसरेण रविकित्ति वुत्तु
पढमाणिोउ मुणि एय-चित्तु । देह-खेत्तहि भरहेरावरहि
अवसप्पिणि-उवसप्पिणिउ होहि । तहि सुसमु सुसमु णामेण कालु अवयरिउ पहिल्लउ सुह-विसालु। तहि तिण्णि कोस देहहँ पमाणु आउसु वि तिणि पल्लइँ वियांणु । तहि कालि सयलु ऍउँ भरह-खेत्तु कप्पद्दमेहि छाइउ विचित्तु । रवि-चंदै करहि तहिँ पसरु णादि । कप्पदुमेहि णर विद्धि जाहिं। इह भोग-भूमि-सम-सरिसु आसि अणुहवइ जीउ बहु-सुहहँ रासि । तेहु कोडाकोडि चयारि माणु सायरहँ कहिउ जुवलहँ समाणु । धत्ता- आहरण-विहूँ सिय-देहइँ विलसइ मिहुणइँ विविह-मुहु ।
ण वि कोहु मोहु भउ आवइ ण वि जर मरण अालि तहु ॥ ४ ॥
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तहाँ कालहों पच्छइ सुसमु कालु उच्चत्तु आसि दुइ कोस देहु
उप्पण्णु आसि बहु-मुह-विसालु । ण वि इट्ट विओउ ण कोहु मोहु ।
(३) १ क- में यह पद छूटा है। २ क- समोस । ३ ख- 'तरु । ४क- पुंच्छियउ । ५क- एम इह । ६ क, ख- च्छखंड । ७ क- संघहं । ८ ख- उच्चत्तू गोत्तू । ९ क- कम्म । १० ख- एउ।
(४) १ ख- दस क्खें । २ क- देहइ, ख- देहहि । ३ ख- पमाणु । ४ ख- कालें । ५ क- इउ । ६ क- च्छायउ । ७ क- चंदु । ८ स्व- अण्णुवहहि जीव बहु जीवरासि । ९ क- तहि । १० ख · सायरहि गणिउ जुवलइ स । ११ ख- विस्य दें।
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