________________
-१६, ७, २]
पासणाहचरिउ
[१४१
ईसाण-कप्पु तह सणकुमार
माहिद-कप्पु बहु-कप्प-सारु । पंचमउ बंभु णामेण कप्पु
बंभोत्तरु छट्ठउ जणिय-दप्पु । लंतव कापिट्ठ महंत कप्प
जहि वसहि देव सय-सहस कॅप्प । पुणु सुकु कप्पु कप्पहँ पहाणु णोंमें महंतु पुणु सुकु जाणु। तहु उप्परेण ठिय णहु कमेवि णामें सयार सहसार वे वि। बहु-भोग णिरंतर अप्पमाण थिय आणय पाणय सुह-णिहाण । गो-खीर-सरिस अतुलिय महंत थिय आरण अच्चुय धग-धगंत । गेविज्ज-विमाण. पुणु थियाइँ अंध-उड्ढ-मझें णव कमेण ताई। णव गयणे वियाणु अणुत्तराइँ तहाँ उवरि ठियइँ पंचोत्तराई। घत्ता- चउरासी लक्ख विमर्माणइँ साक्ख-णिहाणइँ सत्ताणवइ सहासइँ।
तेवीस सुभूसिय-देहइँ ससि-कर-सोहइँ गयणु असेसु पयासइँ ॥५॥
10
सोधम्मीसोणहिं सुरवरिंद
विलसंति महामुंहु दुइ-समुद्द। अण्णंहिँ विहिं कप्पहिं सुर-महंत कीडंति सग्गे सायरइँ सत्त । बहु-भोग-सहास णिरंतरेहि दह उवहि बंभ-बंभोत्तरेहि। पुणु चउदह सोलह उहि आउ अण्णेहि चउ-कप्पहिँ एंउ सहाउ । अट्ठारह सायर वीस जाम
विहि विहि पुणु कप्पहिँ आउ ताम । पुणु आरण अच्चुव सुर-महाँ कीडंति वीस दुइ सायराइँ। एकाहिय तहों उप्परण जाणु तेतीस जाम सायर-पमाणु । एउ कहिउ सग्गे आउहें पमाणु सुर-विलयहँ पल्लहि वुत्तु माणु । पत्ता- मुणिवर-गणहर-लोयहँ सयलहँ देवहँ लोयालोय-पयासें । ___ उड्ढ-लोउ संखेवें भुवण-सुसेवें भासिउ एम समासे ॥ ६ ॥
ऐवहिं सुणु णक्खत्तहँ पंतिउ कहमि जेम गयण-यले विहत्तिउ । जोयण-सयइँ सत्त लंघेविणु
अवर णवइ जोयणइँ कमेविणु । ४ ख- सव्व । ५ ख- मे मह। ६ ख- तहो । ७ ख- त्थिय तहो । ८ क- अद्ध । ९ क- सोहइ गयणु असेस पयासइ । सत्ताणवइ सहस्सय । अह तेवीस विमाणय ।
(६) १ क- साणहो सुरवरेंद । २ ख- सुह । ३ क- अण्णहे विहि कप्पहे । ४ क- उवहे । ५ क- अण्णहे । ६ ककप्पहे । ७ ख- पहु। ८ क- बिहे विहे पुणु कापहे । ९ ख- सुराई । १० ख- कीडंत । ११ ख- एक्काविय । १२ कसायरइ माणु । १३ क, ख- आउहि । १४ क-विलसहे पल्लहे । १५ क- लोयहे । १६ ख- पयासेह ।
(७) १ क- एवहे । २ ख- यलि । ३ ख- जोइणइ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org