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पउमकित्तिविरइउ
[१४, ६, ६
विवरीउ मुणिज्जइ सयलु जेण जं जेण कियउ जंमंतरेण । तं णाणु तेण जोयउ खणेण
भीसावण-णयण-भयाणणेण । तामहि ते पुन्व-विरोहु णामु मरुभूएँ सहु जं कयउ कामु । महिलहि महि-हेउ समच्छरेण हउँ वेलिडे पंच-परंपरेण । तहाँ कालहों लम्गिवि वइरि जाउ बहु-दुक्ख-परंपर-बद्ध-पाउ । एवहिँ मइँ दिट्ठउ ऍत्थु थाइ दुक्करु जीवंतउ कहिँ मि जाइ ।
दुकर जाचत कार पत्ता- जइ पायाले पईसई भुवण-विसेसइ अहवा कहिँ मि वि लुक्कइ ।
तह भुवि अच्छंतउ तउ तप्पंतउ रिउ जीवंतु ण वुक्कइ ।। ६॥
ताडेवि वयणु वयणुब्भडेन
चल्लज्जइ पासु जिणिंदु तेण । तियसेंदाएसें तित्थु जक्खु
सउमणसु णामु जिण-अंगरक्खु । असुरिंदु तेण आवंतु वुत्तु
उनसग्गु करेव्वउ तुह ण जुत्तु । तित्थयर-देउ तइलोय-णाहु
आगम-अणंत-गुण-जल-पवाहु । कल्लाण-महासर-परम-हंसु
जय-लच्छि -सेल-उत्तंग-वंसु । कंदप्प-मल्ल-बल-दलण-देहु
विसयग्गि-णियरि पज्झरिय-मेहु । सासय-सिव-मुहहिँ णिहाणु ठाणु सयरायर-जग-जाणिय-पमाणु । देवाहिदेव-पणविय-सरीरु
णासिय-भयोह-तइलोय-वीरु । एत्तियहँ गुणहँ जो मित्त थाउ उवसग्गु मुइवि तहु करि पणाउ । पत्ता- जिणवर-णवणु करंतहों गुण सुमरंतहाँ होइ अणंतउ पुग्ण-फलु ।
संसारु असेसु वि छिज्जइ सुहु पाविज्जइ जाइ सरीरहों पाव-मलु ॥ ७ ॥
उवसग्गु करंतहाँ पयड गूढे जे दोस होति ते णिमुणि मूढ । आढत्त-कज्जे णिय-मइ-बलेण
असमाणिय-संगउ कउ फलेण । बलु तेउ सत्ति चारहडि माणु दरमलिउ सव्वु जणे अप्पमाणु । उवहासु होइ पर जणहों मझें उवसंतरें इह एमइ असज्झें । जहिँ कन्ज-सिद्धि णर लहहि जाहिँ तहि कज्जे परम्मुह विउस पाहि । जे गूढ दोस ते कहिय तुज्यु मुणु पयड कहमि में चित्ते मुज्झु । चक्काउहु रूसइ ताम ऍकु
विजउ तारायणु देव-चक्क । २ क- ठेलउ; ख- वेलउ । ३ क- विसेसहु । ४ क-ति ।
(७) १ क- जिणेंदु । २ क- असुरेंदु । ३ क- तुहि । ४ क- णवणि । () क- मूढ । २ क- गूढ । ३ क- असज्झि । ४क- चित्त।
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