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- १३, १५, ४ ]
- कण-रण-मंडिउ विमाणु उच्चाइउ महि-यँलि णरवरेहि थि उणि बहु-तरुवर अगहि सिंहासणें व सारिउ जिणिंदु
घत्ता
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पासणाहचरिउ
जिण-णिक्खवणु सुणेविणु आइय सयल गरेसर । सयलाहरण- विहूसिय मिलिया मैंहिहि सुरेसर ॥ १३ ॥
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जगणा पणविवि परम सिद्धे पउमासणु बंधिवि सुद्ध-दिट्टि कण-मणि-भाय लेवि केस
कलि तिणि सय णरवराहँ वासु जग- गुरु करेवि उणवण परिसुद्ध - देहु पारण तित्थु किज्जर जिणेण पव्त्रइया जे तहि ँ सहु जिणेण जह सामिउ तह ते तउ करंति सावज्ज-जोगु तिविहें मुअंति
रविकित्तिरिंदों जाउ दुक्खु विरहाउर रोवइ मणि विसण्णु जगणाह - विओऐं भीमु अज्जु पाविट्ठे माँ किये रयण-हाणि
आरू पासु तहि जग पहाणु । उप्परेण लइउ हे सुरवरेहि । कोइल-पारावय-सुअ-सोहि । खीरो- जैलें हाविउ सुरिंदु ।
९ क- माणिक - रयण-मउकियउ जाणु । आरूढ पा । १० ख १३ ख - वणे । १४ ख - अगाहे । १५ क, ख - सणा हे १९ क- महि परमेसर ।
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धत्ता - मण वय कायहि सुद्धा रहिया अट्टम एहि । जिणु आराहहि सुव्वय मुक्का सत्त भएहि ॥ १४ ॥
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मित्राण - महापुरि- सुह- समिद्ध कि जिणि पंच मुट्ठि | arऍ खित्त इंदें असेस । vorses णेह - णिरंतराहँ । परिहार- मुद्धि संजउ धरेवि । गंड गयउर- पुरे वरदत्त गेहु । विरंतु णयर पुर गउ कमेण । तर कैरहि घोरु ते थिरै - मणेण । आगम-अणिओगें संचरंति ।
रायर - मंडिय महि भमंति ।
यले ।
afras पडिउ णं छष्णु रुक्खु । महु यरु कुसत्थल अज्जु सुण्णु । महु कि पडइ गज्जैत- वज्जु ।
सेहो केरी जाय काणि ।
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११ क- णिउ तत्थ ह त पहु सुर क - जिर्णेदु ।
१७ क- सलिल ।
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१२ क- णिव १८ क - सुरेंदु ।
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(१४) १ ख- सिद्धि । २ ख- समिद्धि । ३ ख - बंधेवि तिष्णि सइ । ७ ख - पव्वइयहँ । ८ ख- छट्टोप । ९ ख - मोण । १२ क- करि । १३ क पर । १४ क आगमि अणि । १५ क (१५) १ क- नरेंदहो । २ ख- पडि । ३ ख तं । ४ कसं० १५
४ ख - लोचु । ५ क - खीरोहि । ६ ख - कार्ले १० क - गय गयवरु पुरहु सुदत्त । ११ क- विहरंत । मुक्के ।
छिन् । ५ क- गजति । ६ क- किर ।
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