________________
९८]
पउमकित्तिविरइउ
[१२, ४, ६
रिउ-साहणेण रविकित्ति राउ एक्कल्लउ वेढिउ जह वराउ । मज्झत्थु अच्छु में करि पसाउ पर-चक्कु णिवारहि जैणिय-राउ । बहु-सेमर-सहास-पयास-कित्ति णामिज्जइ जाम ण भाणुकित्ति । पँहु उढि ताम में करहि खेउ विवरंमुहु करि रिउ-सिमिरु ऐउ । तिहुअणि वि समुहु को थाइ तुम्ह मं हारि कज्जु णरणाह अम्ह । पत्ता- रिउ तैइयहु संधि करंतउ कण्ण वरंतैउ सइँ अम्हहिँ अवगणिउ ।
तव भुंअ-बलु परियौणिवि पउरिसु जाणिवि तिहुअणे कोवि ण मण्णिउ ॥ ४ ॥
10
दुवई- तं णिसुणेवि देहांढ-महाभड सिरि-हयसेण-णंदणो।
चल्लिउ णं समुद्द अक्खोहणि-परिमिउ रिउ-विमद्दणो । एककउ रहु गउ पंच-जोह हय तिणि महाजव जणिय-सोह । दस ऍकहिँ एइ मिलंति जासु किउ पंति गरिंदहिणाउ तासु । तिउणा वि पंति पुणु होइ सेण स वि तिउणी सेणामुंहु कमेण । सेणामुंहु तिउणउ गुम्मु होइ तमि तिउणउ वाहिणि-बलु हवेइ । वाहिणि वि तिउण पियणा वियोणि तिहिं पियणहि चमु-णामेण जाणि । तिहि चमुहि अणिक्किणि होइ माणु सौ दस-गुण अक्खोहणि पमाणु । ऍकवीस सहस सय कहिय अट्ठ गणितण्णु एहि सत्तरि वि दिहूँ। रह ऍत्तिय अक्खोहणिहि होति मय-मत्त तुंग तेत्तिय वि दंति । नव सहस लॅक्खु आहुट्ठ सैया पाइक्क णरिंदहि गगण ठियों। दस तुरय सहस तह पंचसहि छह सयइँ हयहँ सेगाहें रहि । पत्ता- हय गय रहवर ऍक्कहि सह पाइक्कहिँ सत्त होहि सय संबंहि ।
___ अट्ठारह सहस गणिजहि एम भणिज्जहि साहिय ईय दुइ-लक्खहि ॥५॥ ९ख- मज्झत्थ अच्छ । १० ख- प च क । ११ ख- जाणिय । १२ ख- सुमर सुहास । १३ ख- णाविजइ जाउ । १४ स्त्र- बहु चल्लं ता। १५ क- विवरम्मुह । १६ क- पउ। १७ क- तिहुवणि । १८ ख- तइयहं । १९ ख- धरंतउ । २० ख- भुव । २१ ख- 'याणेवि । २२ ख- जाणेवि तिहुवणे ।
(५) १ क- दट्छु? । २ ख- भडू । ३ ख- में पूरी पंक्ति छूटी है। ४ ख- सोहु । ५ ख- इक्कहिं कियइ मि । ६क- परेंदहि । ७ ख- पत्ति । ८ ख- हि । ९ ख- महु । १० ख- महु । ११ ख- गम्मु । १२ ख- वियाणु । १३ ख- जाणु । १४ क- तिणि । १५ क- अणि किउ । १६ क- सो दसगुणु; ख- स दसमुण । १७ क- दिछ ।
१८ ख- लाक्ख । १९ ख- सयई । २० ख- ट्ठियई । २१ ख- जे ना हि । २२ क- सुह पाइक्कइ; ख- में ये दोनों पद छूटे ' हैं । २३ क- संक्खहि । २४ ख- गणेजहि । २५ क- साहिया । २६ ख- इह दुह ।
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org