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-१०, १२, ११]
पासणाहचरिउ
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ऍत्यंतरि भुअणहाँ मुहु जणंतु णहि उइउ चंदु तम-भरु हणंतु । आणंद-जणणु परमत्थ-गब्भु
अवयरिउ णाइ णहें अमिय-कुंभु । चंदुग्गमे वियसिय कुमुअ-संडे मउलिय सरेहि पंकैय-उडंड । ससि-सोमु वि णलिणिहें णउ सुहाइ सूरुग्ग; विहसइ गुणहँ जाइ । अहवा जगि जो जसु ठियउ चित्ति गुण-रहिउ वि सो तहु करइ तित्ति । मेयलंछण-किरणहि तिमिरु णे? जोहाणल-भरियउ गयणु दिदैछ । कीडतहँ मिहुणहँ सुक्खु जाउ रोमंचिउ तणु उच्छलिउ राउ । णिसि भीसण अलि-उल-सम-सदोस तम-रहिय ससंकें किय सतोस । बहु-दोस वि अहवा महिल होई परिगस्यि सुपुरिसे सोह देइ । घत्ता- णहु सयलु वि किउ अंकलंकिउ थिउ सकलंकिउ चंद-तणु ।
णिय-कजहाँ विउसे वि अल्लहिँ गरवर "किं पुणु इयर-जणु ॥ ११ ॥
रवि उअय-गिरिहि सिरि चडिउ जाम आयंव जाय दिस पुत्र ताम । हुय पविरल 'रिक्खहँ तणिय पंति रवि-पहए समाहय चंद-कति । उडीण विहंगम तरुवरेहि
कुरुलिय बैग-सारस सरवरेहि । तह तंबचूड घरि घरि लवंति मिहुणहँ विओय-भउ दक्खवंति । विरहाउर सरहसु मिलिय चक्क गय अडविहि सावय मणि ससंक । दीवा-सिह घरि घरि मंद-छाय तंबोल-रंग रस विरस जाय । उट्ठिय कुल-बहुअउ पिय रमेवि गय पंथिय पंथहों णिसि वसेवि । उट्ठिय पोलत्तिय कम्म-लुद्ध
गय-णिद लोय घरि घरि विउद्ध। फेडंतु तिमिरु औरत्त-गत्तु
गिरि-सिहरि" दिवायरु नाम पत्तु । घत्ता- रवि-किरणहि णहि पर्वहंतहि कमल-संडे विहसावियउ।
ससि-पक्खु वेहंतहि कुमुयहि दिवसहि तणु मउलावियउ ॥ १२ ॥ (११) १ ख- एत्यंतरे भुवणहो । २ ख- णहे । ३ ख- परमच्च । ४ क- "डंग । ख- संडु । ५ ख- पंकयह डंडु । ६ ख- णलिणिहि ण वि । ७ ख- जगे। ८ ख- ट्ठियउ । ९ ख-मय-लंछणु । १० क- किरणहो । ११ ख- णठू । १२ ख- दिछु । १३ क- कीडतहो मिहुणहि । १४ ख- सोक्खु । १५ ख- लोइ । १६ ख- आलंकउ । १७ ख- सकलंकउ चंदु पुणु । १८ ख- वियसु । १९ क- भुलहे । २० ख- ण व र ण । २१ क- केवल अवरु ।
(१२) १ ख- उय-गिरि-सिहरे चडेउ । २ क- हुव । ३ क- रिक्खहे। ४ ख- रवे पहय । ५ ख- उडीण । ६ ख- वरा । ७ ख- तब्वचूड घरे घरे भवंति । ८ क- दक्खवंतु । ९ ख- मणे । १० क- दीवसिहे । ११ ख- 'जउ । १२ ख- वाल । १३ ख- घरे घरे । १४ क- आवत्त । १५ ख- सिहरे १६ क- किरणहे । १७ क- पवहंतहे । १८ ख- संडू । १९ क- वहतिहिं ।
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