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________________ अनुवाद १११ Sco००० S संधि कडवक कडवक का विषय ६ विवाह की तिथि के विषय में ज्योतिषी का मत । १०८ ७ ग्रहों और नक्षत्रों का विवाह पर परिणाम १०९ ८ भिन्न भिन्न ग्रहों का भिन्न गृहों में परिणाम । १०९ पार्श्व को नगर के बाहर तापसों की उपस्थिति की सूचना । १० पार्श्व का तापसों को देखने के लिए प्रस्थान । १११ ११ अग्नि में डालीजाने वाली लकड़ी में सर्प की उपस्थिति; कमठ के प्रहारों से सर्प की मृत्यु । १११ १२ पार्श्व के मनमें वैराग्य-भावना की उत्पत्ति तथा दीक्षा लेने का निश्चय । ११२ १३ लौकान्तिक देवों का पार्श्व के पास आगमन । ११२ १४ पार्श्व द्वारा दीक्षा ग्रहण । ११३ १५ दीक्षा से रविकीर्ति को दुःख । ११३ १६ प्रभावती का विलाप । ११४ १७ दीक्षा समाचार से हयसेन को दुःख । ११४ १८ हयसेन के मन्त्रियों का उपदेश । १९ दीक्षा समाचार से वामादेवी को शोक । ११५ २० वामादेवी को मंत्रियों का उपदेश । ११६ १४ १ पार्श्व के तप और संयम का वर्णन । ११७ २ भीमाटवी का वर्णन । ११७ ३ पार्श्व की ध्यानावस्था । ११८ असुरेन्द्र के आकाशचारी विमान का वर्णन । ११८ ५ विमान के गति-हीन होने का वर्णन | ११९ विमान के गति-हीन होने के कारण को जानने पर असुरेन्द्रका निश्चय । ११९ ७ इन्द्र द्वारा स्थापित पार्श्व के अंगरक्षक का असुर को समझाने का प्रयत्न । ८ उपसर्ग के दुष्परिणाम । १२० असुर द्वारा अंगरक्षक की भर्त्सना । १२१ १० असुर का वज्र से आघात करने का निष्फल प्रयत्न । असुर द्वारा उत्पन्न मेघों का वर्णन । १२२ असुर द्वारा उत्पन्न पवन की भीषणता । १२२ १३ असुर द्वारा पार्श्व पर अनेक शस्त्रास्त्रों से प्रहार करने का प्रयत्न । १४ असुर द्वारा उत्पन्न की गयी अप्सराओं का वर्णन । १२३ १५ असुर द्वारा उत्पन्न की गयी अग्नि की भयंकरता । १२४ १६ असुर द्वारा उत्पन्न की गयी समुद्र की भयानकता । १२५ १७ असुर द्वारा उत्पन्न की गयी हिंसक पशुओं की रौद्रता । १२५ ११ ur 9 9 5१११ 0 V ० 9 ० 9 ० o ० V V ० w V ० १२० V ~ V o १२१ MY ८ N m १२३ m ८४ ० ० Jain Education International For Private & Personal Use Onty www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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