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पउमकित्तिविरइउ
[६, ६, १
दुवई- भुंजइ एयछत्तु महि-मंडल पुरवर णयर पालई ।
अणउ करंतु वइरि विणिवायइ आगम णय णिहालई । तहि अवसरि राँएँ विणय-जुत्त धम्माहिकरणे बुह-जण णिउत्त । सत्थत्थ-वियक्खण भत्तिवंत किय मंति चयारि महामहंत । जस-लंप? उत्तिमु दिढ-सरीरु सेणावइ किउ संगाम-धीरु । अणविण्णु अणालसु बैल-विसालु किउ राएँ एरिसु काट्टवालु । गय-जोवण जे" णर थिर अलुद्ध परिठेविय महल्ला कुल-विसुद्ध। सत्थत्थ-वियक्खणु मुणिय-मम्म किउ विज-गरिदें णिउण-कम्म । जोइसहाँ असेसहों लद्ध-पारु "जोइसिउ थविउ तेहि गह-वियारु । आगम-पुराण-बहु-कन्य-पाईं किउ पोथावायउ गेय-गाहुँ । दि? असदु महामइ कुल-पसूउ सोहइ णरणाहहाँ गेहि" दूउ। घत्ता- जो खाण-पाण-रस-भोयणहँ मुणइ असेसै वि भणिय विहि ।
सूऔरु णरिंदें सो जि किउ पुब्ब-कमागउ गुणहँ णिहि ॥६॥
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दुवई- छंद-पमाण-देसि'-वायरण. आगम-णय-वियाणओ।
णरवर-गेहि सेवि धवलंबरु सोहइ जण-पहाणओ ॥ दय-धम्म-सच्च-अज्झयण-जुत्त परिठंविउ पुरोहिउ सुद्ध-चित्तु । दिई दक्खु सुपेसलु दंडधारि पडिहारु णिवेसिउ सीहवारि । सासण-गणित्त-पत्तालि-लेह
लेहणि-धर लेहय किय सुलेह । कुल-गोत्त-समागउँ सुइ सणिद्ध भंडारिउ किउ आगम-विमुद्ध । उज्जमिउ अणालमु सामि-भत्तु
पणिहारि ठविउ विस्सास-जुत्तु । अविसण्णु अणुब्भड मुणिय-कालु णरणाहें किज्जइ सेजवालु।
भय-मय-विमुक्कु वइरिय-णिवारि __ आसण्णु परिहिउ खग्गधारि । (६) १ ख- ण । २ ख- 'यरि । ३ ख- ई । ४ ख- 'ऐं। ५ ख- तु । ६ क- ण । ७ ख- णित्तु । ८ खतु । ९ख- "त । १० ख- इ । ११ ख- वर । १२ ख-में यह पद छूटा है। १३ क, ख- 8 । १४ ख- मामू । १५ क- ₹ । १६ क, ख- जोव । १७ ख- ति । १८ क- 'ढ । १९ ख-दू । २० ख- "ढू असहू। २१ ख- ह । २२ ख- सहं तणिय वि । २३ ख- 'या।
(७) १ ख-स । २ ख- रण महामइ आग । ३ क- सिट्टि । ४ क- पुरवर जण; ख- सोहइ पुरवर जण । ५खछ । ६ स्त्र-दू। ७ ख- ते लिलेह । ८ ख- वर । १ ख- गु। १० ख- 'मु । ११ क- पाणिहरि ढ; ख- पाणिहरे उढविउ वेसास । १२ क- असविण्णु । १३ क- म ।
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