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मूल
अनुवाद
05७१
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संधि कडवक कडवक का विषय
३ कनकप्रभ द्वारा चौदह पूर्वांगो का अध्ययन । ४ चौदह पूर्वांगो में वस्तुओं की संख्या । ५ कनकप्रभ की तपश्चर्या ।। ६ कनकप्रभ द्वारा मुनिधर्म का पालन ।
कनकप्रभ को ऋद्धियों की प्राप्ति । ८ कनकप्रभ का सरिवन में प्रवेश । ९ सरिवन में स्थित पर्वत का वर्णन । १० कनकप्रभ पर सिंह का आक्रमण ।
कनकप्रभ की मृत्यु तथा स्वर्ग प्राप्ति । १२ अनेक योनियों में उत्पन्न होने के पश्चात् कमठ का ब्राह्मण कुल में जन्म ।
कमठ द्वारा तापसों के आश्रम में प्रवेश ।
राजा ह्यसेन का वर्णन । २ वामादेवी का वर्णन । ३ तीर्थंकर के गर्भ में आने की इन्द्र को सूचना । ४ इन्द्र की आज्ञा से कुबेर द्वारा वाराणसी में रत्नवृष्टि । वामादेवी की सेवा के लिये
देवियों का आगमन । ५ देवियों द्वारा किये गये कार्य । ६ वामादेवी के सोलह स्वप्न । ७ वामादेवी द्वारा वाद्य-ध्वनि का श्रवण । ८ वामादेवी द्वारा स्वप्नों की हयसेन से चर्चा । ९ स्वप्नों के फल पर प्रकाश । १० कनकप्रभ का गर्भावतरण । ११ तीर्थंकर का जन्म । १२ इन्द्र द्वारा तीर्थकर के जन्मोत्सव की तैयारी । १३ इन्द्र का वाराणसी के लिये प्रस्थान । १४ इन्द्र का वाराणसी में आगमन । १५ तीर्थंकर को ले कर इन्द्र का पाण्डुकशिला पर आगमन । १६ तीर्थंकर के जन्माभिषेक का प्रारंभ । १७ सौ इन्द्रों का उल्लेख । १८ देवों द्वारा मनाये गये उत्सव का वर्णन । १९ जन्माभिषेक का वर्णन । २० जन्माभिषेक के उत्सव का वर्णन । २१ तीर्थंकर का कर्णच्छेदन तथा नामकरण ।
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