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________________ संधि- १ चवीस वि जिणवर-सामिय सिवपुर -गामिय पणविवि अणुदिणु भावें । पुणु कह भुवण-पयासों पयडमि पासहों जगहों मज्झि संभावें ॥ [ ध्रुवकं ] Jain Education International चवीस व केवल-गाण- देह चवीस वि कँम्म गरिंद-मल्ल चवीस व अखलिय-वय-चरित चवीस व सासय-ठाण-पत्त चवीस विचउ-विह-बंध-मुक चवीस व अविचल - सुह-महंत चउवीस वि पयडिय-मक्ख-पंथ, चवीस वि अभय पैदाण-सील चवीस विभुवर्णुद्धरण-खंभ चवीस विखीण कसाय-मोह | चउवीस वितिविह-विमुक्क- सल्ल । चवीस व अजरामर - पवित्त । चवीस विकलि-मल-कलुस - चत्त । चवीस व उ- गइ - पंक चुक्क । चवीस व जग-गुरु- आयवत्त । चवीस व भय - फेडण-समत्थ । चवीस व संजम धरण-लील । चवीस वि पंचिदियं णिसुंभ | घत्ता - चउवीस वि णर-सुर-वंदिय जगि अहिणंदिय भवियहँ मंगल होंतु । भवि” भवि” बोहि ”जिणेसर जग- परमेसर अविचलु अम्हहँ दितु ॥ १ ॥ २ अडयाल - पयडि-सय-खविय-मोह जे के वि भविस गय वट्टमाण पुणु कहमि महाकह-वर-विसेसु कवि अस्थि एत्थ बहु-विह-पहाण मृदु ण जाउँ सैत्थु कोइ छुड मिलिउ किं पि आंगण वुत्तु छुडु समय- विरुद्धु म होउ किंपि छुडु रंजउ संज्जण जहँ चितु वय -महाबल -मयण - जोह | ते पणविवि जिणवर अप्पमाण । खउ जाइ जेण कलि-मलु असेसु । सत्य- विक्खण गुण- णिहाण | अपाण पडमि भुवणि तोइँ । संबंधु होइ मं छुडु अजुत्तु । पिप्पज्जउ कित्तणु जं पि तं पि । धवलंतु भमउ पास चरितु । पत्ता - छुडु कह भु-मणोहर तिहुअण- सेहर गर- सुर-णमिय गुणायर | छु जसु भुवणि वियंभउ दुल्लह-लंभउ जामें महीर्येलि सायर || २ || (१) १ ख- सुह । २ ख- वरकावें । ३ ख काम ४ ख ट्ठा। ५ ख- कलिमलपंकमुक्क । ६ ख - °गर आइवत्त । ७ ख- पयाणु । ८ ख- धरसुसील । ९ ख द्ध १० ख- 'चेदि । ११, १२ ख- वे । १३ ख - जेणें । १४ ख देंतु । (२) १ ख- णिद्धवि । २ ख - एकु । ३ ख - हम्बुं । ४ क याणमि । ५ क- अत्थु । ६ ख- पयडउं । ७ खलोवि । ८ क - गम । ९ ख - इ । १० ख- सज । ११ क- हो । १२ ख- होइ । १३ ख - व १४ ख ले | For Private & Personal Use Only 5 10 5 10 www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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