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________________ ९४ प्रस्तावना ४+४+४+२ या ६+४+४ = १४ स्वयंभू (६. १५८ ) तथा हेमचन्द्र ( छ. शा. ४३अ. ६) ने इसका नाम गंधोदकधारा दिया है । दूसरी संधि के ४ थे, छठवीं संधि के पूवें, नौंवीं संधि के ४ थे, दसवीं हंधि के १ले तथा अठारहवीं संधि के ८, ११ तथा १५ कडवको के घत्ते तथा छठवीं संधि का ध्रुवक इस छन्द में है । संकीर्ण चतुष्पदियाँ जिस संधि के जिस कडवक के घत्ते में पाई गई है । उनके पादों में जो मात्राओं की संख्या हैं तथा जिस छन्द की उनकी पंक्तियां हैं, उस सबका विवरण तालिका रूप में नीचे दिया जा रहा है । क्रमांक ३ (I) ( II ) (III ) (IV) (v) (VI) (VII) (VIII) ( IX ) ( X ) (XI) (XII) (XIII) (XIV) Jain Education International संधि २ २ ३ ३ ५ ६ ७ ७ ७ १३ १७ १७ १८ कडवक ३ ८ १४ ३ ४ १ ५ ११ १३ ६ १३ २१ २२ विषमुपादों समपादों में मात्रा संख्या मात्रा संख्या १६ १४ १४ १३ १४ १२ १४ १२ १२ १४ १२ १४ १४ १२ १२ १४ १२ १४ १४ १४ १२ १४ १४ १२ १२ १४ १२ १४ १२ १२ १२ १२ ११ ११ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १३ १५ १२ १२ ११ ११ १२ १२ १३ १३ प्रथम पंक्ति के छंद का नाम सुतालिंगन दोहक भ्रमरविलास दोहक महानुभावा महानुभावा दोह महानुभावा महानुभावा कुसुमितकेतकी हस्त महानुभावा भ्रमरविलास महानुभावा कामिनीहास For Private Personal Use Only द्वितीय पंक्ति के छंद का नाम • दोहक उपदोहक मकरध्वजहास महानुभावा दोह दोह महानुभावा दोहक दोह मुखपालन तिलक दोहक मकरध्वजहास दोह कुसुमितकेतको हस्त www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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