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उप्पन्नमहापुरिखचरियं ।
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वस्तूपाश्रय सौन्दर्यादपूर्वगुणमाप्नुयात् । रूच्छं मौतिकतामेति शुक्तिमध्यगतं जलम् ॥ वाहिसयपीडिया जियान जर मरण-सोयतवियाणं । दोगच्चररिहनुध्वेश्याग भाग कडू पण गिब्वे दिगए लम्भ सिरी कड़ा वि पलाइ दुब्विणीयान पीसेसगुणाद्वाणं विणओ चिय जीवलोयम्मि || विणयुज्जुयाण कित्ती विउसाऽऽणणपहयसहजयपडहो । धम्मो भत्यो कामो कलाओ बिज्जा य विणयाओ ॥ विप्फुरइ ताव देव्वो विहडण संघडणकरणतल्लिच्छो । जा ण तुलिजर साहसधणेहिं णिहसेकसारेहिं ॥ वियसंतदल उडुम्मिल्लमालईसवलकुंतल कलावो । किं णरंयवडणधरणेक्कपञ्चलो जायइ पियाण ? ॥ बिसपाहि हीरइ मणो जेसि पुरिसाहमान विरसेहिं परिगलियहमिवेचतणेण ते होतऽसप्पुरिसा ॥ विसमदसापडियस्स विजहरू जनिमपुरियारस्स जइ ण फलद संपली किती उण राह बि संपइ ॥ सिमसिमोहियाणं राममहागहपणसणाणं । होइ पडणं पराणं अवस्स बहुवेयणे गरए ॥ विसय सुहलालसाणं सुमग्गमंदायराण पुरिसाण । अमुणियसारविसेसाण गलड् इत्थद्वियं अमयं ॥ विसयाण कए पुरिसा विडंबणं तं जयम्मि पति । जं साहिउं ण तीरइ वेवंतुप्पित्यहियएहि ॥ विख्याण पसादो सो दुसियगुरुतीलगुणण परिहरइ हिये, अहियं बहुमह जं जो मूडो ॥ जिस-मिया दो वि भणति अर्थतमंतरं विसा सह भुतं हाइ विसं विसया सरिया मि बहुसो वि॥ चिदिव्य जयंतवण-वियरावाण गियर चिय धीराण होइ वसणम्मि गुसहाभो ॥ विहति चंडमास्यपगोरिल्या गजिकण पणनिवहा । उजविण गाइ हथ्ये व विज्या ॥ चिबाण ययन्थानं होई कुलकलंक कारणमणः सुतिमती विव चिता धूया धष्णाग गहु जाया ॥ विहिणो वसेण वहति देव | देवा वि देवलोयम्मि । 'अमर' त्ति णाममेत्तेण, जेण आउक्खयमुवेति ॥
सहावो जो वि धीराण सुंदरी होइ इयरागं पुणणे विनिव्यापी ॥ बीसंभजगियगहिए पदभावपेमपसरम्मि उपचारो कीर माणुसम्मि कतोएवं एवं १ ॥ वेरमणुसरंता दिंतु विलासिणीओ वरमुणिणो । किं पुण हियए ताण वि थणणयणाडंबरं फुरइ ? ॥ बेरमुवघायजणए उवयारी बंधवो सया होई । कज्जावेक्खाए जओ मित्ता- मित्तत्तणम (व) वत्था ॥
गुगु वा महाणुभावेहिं समायरिय पालेति तं तह बिग यह ण चिसोले विसंवद युगे चि पुरिसा या चूडामणि विवखाया। सयलजसलहणिजा दुम्मेति सिरेण भुषणमि ॥ इसरे जं विचिगुणं सहिऊण समुच्छलेति तुच्छष्ण दुम्बलक्खपरिग्गगहिया सलह म भुषणमि ॥ सर्व मया पायस्य कारणं परपचवायरस को होज विने दूरभो ण जो तं परिचय ॥ सणणं दुग्गं आउहं च कजं कुणंति धीरस्स । धीरत्तणरहियाणं णराणमप्पव्वहणिमित्तं ॥ सद्दा पुन्वसिद्धा अत्था सिर्द्धतसायरुच्छलिया । मालागारस्स व होज्ज मज्झ जइ को वि गोफगुणो ॥ सदम्मे पक्षिपती गुरुचरणाराहणं च जिनसेवा समाया होति येवेदि पुणेहिं ॥ सप्पुरिख थिय वसने सति गये विभग्गयपथाचा धरणि श्चिय सइइ जए वजणिवार्य ण उण सं ॥ सप्पुरिसि च णिव्वडर आवया, ण उण ध्ययपुरिसम्मि । 'लक्खिज्जइ मलिणं ससहरम्मि, ण उणो विडप्पम्मि ॥ सम्भावसेस महाणुभावाण जायद जमि आसयन्सेप अहवा मुहासो होइ फलं ॥ समवती एस गो एयस्स पण वत्सहोजए कोई पैसो वि णत्थि सुपुरिस सदेवमनुमा सुरे सोए ॥ गावे एस बजे दुब्बले व ईसरमग प य विउ ण य मुक्तं, ण य सण ण एगामि ॥ वाले, पण परिणयं पेय मज्झिमं ण खलं ग य जगमवि मुंबई, पावभई रोदरिणामो संपज्जतसमीहियकज्जाण वि एस सयलदेवाण । अवहरइ जीवियं, माणुसेहिं कि कीरइ इमस्स ! ॥ समसिहरद्विवराईए दसएसजायभावान सिकुसुमप्पेक्सणेण राम परिष्फुरद ॥ समुहमिलिएकमेवाण आसण संसय सहाओ जायद रणम्मि जिसमे भवाण मोजून नियविरियं ॥ सयणु परियणु [? सयणु परियणु ] बंधुवग्गं पि । भिच्चयणु सुहि सज्जणु वि घरि कलत्तु आणावडिच्छउं । अत्थुम्ह किल धरइ जाव ताव पुण्णेहिं समग्गलु ॥
सयला वि गुणा सहला जयभिम जायंति पत्तसंपत्ता । वण्णक्कम व्व सुविहत्तभित्तिसंघत्त परभाया ॥ सपना जे आणि संतलालसा मुहरे सण्णाविहाचिवत्था वयपरिणामम्मि ते चैव ॥ सविवेउत्तमजणवज्जियाओ मज्जायमुकलज्जाओ । हिययाणुकूलववसिय भणिएहि जणं विमोहति ॥ सदस्य एस मध्यू विमोयकरणम्मि पचलो धणियं संजोयं ण उणो कुमइ पालणं पावपरिणामी ॥ सव्वस्स वि एस गई जं कयमण्णस्स रागवसएणं । तं परिणमइ सई चिय पुव्वज्जियकम्मदोसेणं ॥ सम्पत वि एस गई होही काले जीवतोयमि गियकम्मऽजयवस्तु किथ रु १ ॥
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सत्स
निर्वदे १०५ ४
विनये ७० १८६
१७
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पुरुषार्थे १३८ २ नारीदेहनिन्दायाम् २८ ७० विषयविरागे ९९ २०
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पुरुष २३८२१३ विषयविरागे १७० १८
९९ २२.
९८ १५.
४८ २०४
४७ १९९
६१ ४६.
६९ १६४
१५३ २
29
७० १८५
दैवे
दुहितरि दैवे
६९ १६३
धैर्ये
१२६ ३१३
लै १९७ ३८. कामे ३४३ मित्रामित्रविबैके ४४ १४१ प्रतिपन्नपालने १११ ५२.
गुणिनि निर्गुणे च ६३ ७४-७५ नारीनिन्दायाम् ३११ ५१६ धेये ६१ ४९ विद्याप * ५४ सुभगे १५९ ४३ सहिष्णुतायाम् ६८ १५२ ६८ १५४ सद्विचारे ३२६६८७
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कृतान्ते ६९ १५९-६२ नारीदेहनिन्दायाम् १७० १२ पी ६१
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अर्थप्राधान्ये ३ ३५ पात्रे २९८ ३६८ जरायाम् २४७ १९ गणिकायाम् ३१४५५६ मृत्यौ ६७ १२८ निर्वेदे १४४ ५८ मृत्यौ ६७ १२७
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