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चउप्पन्नमहापुरिसचरियं ।
जत्थुप्पण्णो सयछिजज्जरं सव्वहा समीहंतो । तं चिय दाझं घुणकीडउ व्ध सुयणं खलो खवइ ।।
दुर्जने ३१८ ५९४ जम्मो णिरत्थओ तीए जीए महिलाए मम्मणुल्लावो । रमिऊण धूलिधवलो पुत्तो णामहइ अकम्मि ॥ जलकलुसकलिलभरियंडसच्छहे लोयणम्मि रायंधो । सच्छप्पयकमलदलद्धविन्भमुष्पेक्खणक्खणिओ ॥
नारीदेहनिन्दायाम् १७० १. जलणस्स दारुणिवहेहिं णेय, जह जलणिहिस्स सलिलेहिं । तह संतोसो ण हु होइ जंतुणो कामभोगेहिं ॥ कामपरिहारे २१८ ६३ जस्स उण णाण-दसण-चरणाई मणे जहुत्तकारिस्स । तस्स परस्सावस्सं हवंति सग्गा-ऽपवग्गा वि ॥
कर्मविपाके १ ९१ जस्स कएणं तम्मसि णिचमकज्जाई कुणसि रे जीव! । मुत्त-पुरीसाहारस्स रोगणिलयस्स पावस्स ॥ चितिजंताऽणिट्ठा तस्सेसा पावपरिणई णिययं । असुइ व भूइपुंज व्व होइ किमियाण णिवहो च ॥ देहासारतायाम् ५. २२७-२८ जस्स किलिस्सति कए विसय सुहासाहिलासलोहेण । तं पि सरीरं खणभंगिपवणविहुयं व णिबफलं ॥
२३५ १८८ जस्स ण सदा भत्ति व पवयणे चित्तसुद्धया णेय । बहवं पि किलिस्सतस्स तस्स तं जायइ णिरत्यं ॥ तपोनष्फल्ये २८० ९४ जस्स ण संतोसो वरविलासरसियाहिं सुरपुरंधीहिं । सो चेय कह णु मयणो माणुसभोगेहिं तिप्पीहि ? ॥ कामपरिहारे २१८ ६१ जस्स ण सुहेण सुहियं दइयं, ण य दुक्खदुक्खियं होई । समसन्भावसिणेहं ण नस्स किं तस्स जम्मेण ? प्रियसंयोगे १५६ १६ जस्सऽणुकूला पियदसणा [य] मियु-मंजुभासणसयोहा । सयलगुणाहाणं घरसिरि घ घरिणी सुहं तस्स ॥ नारीप्रशंसायाम् २९ ८५ अस्स परिओस-रोसा वि णि'फला जंति जंतुणो भुवणे । उच्छुपसूयस्स व णिप्फलेण किं तस्स जम्मेण ? ॥ ___ जन्मनैरर्थक्ये २२८ १२७ जह अमुणियसहत्थो कन्वं काऊण महइ मइमूढो । तह अकयकुसलकम्मो इच्छइ परमेसरसुहाई ॥
धर्मकरणे २५५ ११५ जह उग्गओ रवी जयलम्मि ण खणं पि णिच्चलो होइ । तह तारुण्णं जीवाण होइ ण थिरं मुहुत्तं पि ॥ यौवनास्थैयें २४७ ३१ जह ऊसरम्मि वविऊण कोइ मूढो विमग्गए साली । तह णाणुचिण्णधम्मो मग्गइ सोक्खाई भोत्तूणं ॥
धर्मकरणे २५५ ११४ जह जलइ पायवो णेय अप्पयं मूलपसरवइरित्तो । तह धम्मो धम्मत्थीण होइ ण विणा दयाए फुड ॥
दयायाम् २६१ २०२ जह जलहिम्मि णिहित्तेण कह वि कुम्मेण लद्धमुवरितलं । तह लद्धं मणुयत्तं मए णिबुडेण संसारे ॥
मानवभवदौर्लभ्ये २५३ ९२ जह जीवियं तुह पियं णिययं तह होइ सव्वजीवाणं । पियजीवियाण जीवाण रक्ख जीयं सजीयं व ॥
दयायाम् १४९ ३ जह णयरं ण लहइ वियडगोउरहारविरहियं सोहं । धम्मुज्जुयाण ण लहइ तहेव धम्मो दयाए विणा ॥
दयायाम् २६२ २०५ जह णिण्णयाओ उवहिम्मि ण य णियत्तंति णिवडियाओ पुणो । तह ण पुणो पल्लदृति तणुम्मि स्वाइसोहग्गं ॥ जरायाम् २४७ ३० जह पवणपेल्लिओ सुक्कदारुछारो दिसोदिसि विगओ । ण मिलइ पुणो वि तह वोलियं खु मणुयाण माणुस्सं ॥ मानवभवदौर्लभ्ये २४८ ३६ जह पवरचित्तभित्ती सलिलुप्पुसिया ण देइ परभायं । तह जर-मरणालिद्धं तणू वि सोहं ण पावेइ ॥
जरायाम् २४७ २९ जह पव्वाया कुसुमाण मालिया णेय लहइ परिभोयं । तह विसइच्छं क्यपरिणयंगलट्ठी ण पावेइ ।
जरायाम् २४८ ३५ जह पाविडं ण तीरइ परमाणुचओ दिसा(सो)दिसि विगओ । गुरुयरपवणाइद्धो तहेव विगयं खु मणुयत्तं ॥ मानवभवदौर्लभ्ये २५२ ९१ बह बीएण विणा होइ णेय सयला वि सासनिष्फत्ती । तह धम्मत्थीण ण होइ णूण धम्मो दयाए विणा ॥ दयायाम् २६२ २०३ जह रहवर-तुरय-गइंदसंकुलं साहणं विणा पहुणो । सोहं ण देइ, धम्मो दयाए रहिओ तह जतीण ॥
दयायाम् २६२ २०४ जह सलिलं वारिहरुण्णतीए ण विणा कहिं पि संपडइ । तह धम्मो पाणिदयाए विरहिओ णेय संपडइ ॥
दयायाम् २६२ २०६ जह सुविणयम्भि रोरस्स रयणलंभो तुडीए संपडिओ । सो च्चिय णिहाविरमम्मि दुल्लहो तह व मणुयत्तं ॥ मानवभवदौर्लभ्ये २५२ ९. जह सुसियपायवे णेय होंति वेल्लबलपल्लवुप्पीला । विसयविलासा जायंति णेय तह परिणए देहे ॥
जरायाम् २४७ ३३ जह हन्ववहस्स सिहा णिव्वाणा ण य पुणो बि पजलइ । तह चेट्ठा वि हु सयलिदियाण विगया ण संघडइ ॥ जरायाम् २४८ ३४ जह हियभितरगुरुपयत्तकज्जुजओ वि गयवियलो । पावइ ण इच्छियदिसं धम्मेण विणा तहा जंतू ॥
धर्मकरणे २५५ ११२ जं आसि दुरालोय फुरियपयावस्स मंडलं रविणो । उबत्तिजइ सायम्मि 'तेयरक्खा जए गहई '॥
तेजःक्षये ४६ १६६ जं चिंतिजइ हियएण नेव, जुजइ ण चेव जुत्तीहिं । विहडण-संघडणपरो तं पि हयासो विही कुणइ ॥
__ दैवे २३ २५ जं जत्थ जया जुजइ काउं तं तह कुणंति बुहसंघा । किं कुणइ दारकुंभम्मि कोइ बालो वि हव्ववहं ? ॥ उचितकार्य २९१ २६४ जं जत्थ जेण जइया पावेयचं सुहं व दुक्खं वा । करहं व रज्जुगहियं बला तहिं गति कम्माई ॥
दैवे २१४ ४४ जे जेण जहा जइया सुहमसुहं वा समज्जियं कम्मं । तं तस्स तहा तइया तयाणुरूवं फलं देइ ॥
कर्मविपाके ६० ४२ जं परलोयविरुदं लोओ ववहरइ मुक्कमज्जाओ । तत्थ णिमित्तमणजा विसया विसभोयणसमाणा ॥
विषयासारतायाम् ४८ २०३ जं संजमुज्जमावजियं चरितं बहूहि वासेहिं । तं तूलं व खणेणं कोहो णिहइ जलणो ब्व ॥
कोधपरिहारे ३३२ ७६९ जा घेप्पइ खग्गं भंजिऊण रिउणो सिरम्मि दुक्खेहिं । सा रायसिरी अणहेण भणसु कह मुच्चइ समेण? ॥
शौर्य २४२ २७२ जा जीवंताणं चिय भुजइ पुत्तेहिं बंधुवग्गेहिं । सा लच्छी देइ धिई, मयस्स उण णस्थि उ विसेसो ॥ पितृलक्ष्मीभोगे ५६ १. जा दुहिय त्ति कलेऊण चुंबिया सरसवयणकमलम्मि । स चेय पुणो जम्मंतरम्मि दइय त्ति हेण ॥
निर्वेदे १९६ १९५ जाया जस्स सयासाओ उवह कहमप्पणो वि उप्पत्ती । धूमद्धत ब्व दारं तं चिय सुयणं खलो उहह ॥
दुर्जने ३१८ ५९५ जाव पियत्तणसंजणियचाडपरियम्महिययपरिओसा । णियदइया वि हु क्यपरिणयाण विवरम्मुहा होइ ॥
जरायाम् २३५ १९० जा ससुरासुर-किष्णर-विज्जाहर-णरसुरेहि घेप्पंती, । सा आणा बंधुसु खल्इ णवर येवो अलंकारो ॥ बान्धवाशाभङ्गशोभायाम् १४ १४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only
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