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हारिभद्रि वृत्ति सहित नन्दीसूत्रका विषयानुक्रम ।
सत्र
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पत्र
M
१.
-२१
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२१-२२
२२-२३
विषय वृत्तिकारका मंगल और उपक्रम नन्दिशब्दको व्युत्पत्ति, अर्थ और निक्षेप गाथा १-३ मंगलसूत्र गाथा १ सामान्यतः जिनस्तुति गा. २-३ महावीर परमात्माकी स्तुति गाथा १-१७ संघस्तुतिसूत्र रथ, चक्र, नगर, पद्म, चन्द्र, सूर्य, समुद्र और मंदरगिरिके रूपकों द्वारा श्रीसङ्घकी स्तुति गथा १८-१९ तीर्थकरावलीसूत्र चोवीस तीर्थंकरोंकी स्तुति गाथा २०-२१ गणधरावलीसूत्र भगवान् श्रीमहावीरके ग्यारह गणधरोंकी स्तुति गाथा २२ वीरशासनस्तुतिसूत्र भगवान् महावीर के शासनको-प्रवचनकी स्तुति गाथा २३-४३ स्थविरावलीसूत्र श्रुतस्थविरोंकी स्तुति-गा. २३ सुधर्मा, जम्बूस्वामी, प्रभवस्वामी, शय्यम्भवस्वामी; गा. २४ यशोभद्र, सम्भूतार्य, भद्रबाहु, स्थूलभद्र गा. २५ महागिरि, सुहस्ती, बहुल, बलिस्सह; गा. २६ स्वाति, श्यामार्य, शाण्डिल्य, जीवधर; गा. २७ आर्यसमुद्र; गा. २८ आर्यमा; गा. २९ आर्यनन्दिल; गा. ३० आर्यनागहस्ती वाचकः गा ३१ रेवतिमित्र वाचक; गा. ३२ सिंह वाचक; गा. ३३ स्कन्दिलाचार्य; गा ३४ हिमवन्त; गा. ३५-३६ नागाजुनवाचक; गा. ३७-३९ भूतदिनाचाय; गा. १० लौहित्य; गा. ११-४२ दुष्यगणी; मा. १३ सामान्यरूपसे सर्वस्थविरोंकी स्तुति गा. ११ पर्षत्सूत्र श्रुतज्ञानके-शास्त्रके अधिकारि-अनधिकारी शिष्यों की परीक्षाके लिये सेलघण,
सूत्र
विषय कुट, चालनी, परिपूर्णक, इस आदिके लाक्षणिक उदाहरण और ज्ञपर्षत् , अज्ञपर्षत् एवं दुर्विदग्धपर्षतका निरूपण शानसूत्र मत्यादि पांच ज्ञानके नाम, उनकी भ्युत्पत्ति और क्रमसाफल्य आदिका निरूपण मत्यादिज्ञानोका प्रत्यक्ष परोक्ष रूपमें विभाजन प्रत्यक्षज्ञानके इन्द्रियप्रत्यक्ष नोइन्द्रियप्रत्यक्ष दो भेद इन्द्रियप्रत्यक्षके पांच भेद नोइन्द्रियप्रत्यक्षके तीन मेद अवधिज्ञानके दो भेदक्षायोपशमिक और भवप्रत्ययिक क्षायोपशमिक तथा गुणप्रत्ययिक अवधि
ज्ञानका स्वरूप १५ अवधिज्ञानके आनुगामिकादि छ मेद १६-२२ १, आनुगामिक अवधिज्ञानका स्वरूप,
उनके अन्तगत और मध्यगत मेद तथा पुरतोअन्तगत, मार्गतोअन्तगत, पार्श्वतोअन्तगतादि प्रमेदोंका स्वरूप, उनके
प्रतिविशेषका-स्वरूपभेदका निरूपण २३ २. अनानुगामिक अवधिज्ञान
३. वर्धमानक अवधिज्ञान गा. ४५-१६ अवधिज्ञानका जघन्य और उत्कृष्ट अवधिक्षेत्र. गा. १७-५० द्रव्य-क्षेत्र-काल-भावकी अपेक्षासे अवधिज्ञानके विषयभूत द्रव्यादिकी वृद्धिका स्वरूप, गा. ५१-५२ द्रव्य-क्षेत्र-कालभावकी पारस्परिक वृद्धिका स्वरूप आदि ५. हीयमानक अवधिज्ञान ५. प्रतिपाति अवधिज्ञान ६. अप्रतिपाति अवधिज्ञान द्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे अवधिज्ञानका स्वरूप गा. ५३-५४ अवधिज्ञानके अभ्यन्तराबधि और बाह्यावधि मेद और अवधिज्ञानका उपसंहार
१०-१५
२४-२५ २५-२८
२५
२७
१५-१७
३०-३१
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