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१.९३] मात्रावृत्तम्
[४७ कुंद करअल मेह तालंक, कलरुद्द कोइल कमलु । इंदु संभु चामरु गणेसरु, सहसक्खो सेस भण ॥ णाअराअ जंपइ फणीसरु । तेरह अक्खर जं पलइ, इग्गारह वंकेहिं ।
अक्खर अक्खर जं वढइ, तं तं णाम कुणेहि ॥९३॥ [रड्डा] [इति रोला] ९३ रोला के भेदः
कुंद, करतल, मेघ, ताटंक, कलरुद्र, कोकिल, कमल, इंदु, शंभु, चामर, गणेश्वर, सहस्राक्ष, शेष-ये रोला के भेद हैं, ऐसा नागराज पिंगल कहते हैं। जहाँ एक एक चरण में तेरह अक्षर, अर्थात् ११ गुरु तथा २ लघु (२२+२=२४ मात्रा) पडे, वह प्रथम भेद है । एक गुरु अक्षर के दो दो लघु में परिवर्तित होने पर अर्थात् एक एक अक्षर के बढ़ने पर तत्तत् नामक भेद होते हैं।
टिप्पणी-इग्गारह-< एकादश, दे० वैकल्पिक रूप $ ७८ । कुणेहि- कुण+हि, म०भा०आ० आज्ञा; म० पु० ए० व० तिङ् चिह्न । अह गंधाण,
दहसत्त वण्ण पढम पअ भणह सुअणा तह बीअंमि अट्ठारहहिँ जमअ जुअ चरणा । एरिसि अ बीअ दल कुणहु भणइ पिंगलो,
गंधाणा णाम रूअउ हो पंडिअजणचित्तहरो ॥१४॥ [गंधाण] ९४ गंधान छंदः
हे सज्जनों, जहाँ प्रथम चरण में सतरह (दस-सात) मात्रा (वर्ण) हों, तथा दूसरे में अठारह मात्रा हों, तथा जिसके चरणों में यमक हो । इसी क्रम से द्वितीय दल (उत्तरार्ध, तृतीय-चतुर्थ चरण) की रचना करे । यह पंडितजनों के चित्त को हरने वाला गंधान नामक छंद होता है, ऐसा पिंगल कहते हैं ।
गंधान छंदः-१७, १८ : १७, १८ मात्रिक छंद । टिप्पणी-दहसत्त-< दशसप्त । रुअ-< रूपं । हो- हो+'वर्तमानकालिक क्रिया में केवल धातु रूप (स्टेम) का प्रयोग । कुणहु-Vकुण+हु; आज्ञा; म० पु० ब० व० ।
दहसत्तक्खर संठवहु पढमचरण गंधाण ।
बीअक्खर पुणु जमअ दइ अट्ठारहइ विआण ॥९५॥ [दोहा] ९३. D. रड्डु। कलरुद्द-B. कलिरुद्ध, D. कलरुद्र । कोइल-C.0. कोकिल । चामरु-A. D. चामर । गणेसरु-0. गणेरु । सहसक्खो -A. सहसक्ख, C. सहसख, D. सहसव्व । सेस-D. सेसह । जंपइ-D. जंपई। फणीसरु-C. फणेसरु, D. फणिसुर । इग्गारह-0. एआरह । इग्गारह वंकेहिँ-C. एआरह गुरुएहिँ; D. गुरु सत्तिर लहु देहु । देहु अ-अतः परं D. प्रतौ पाठ: न प्राप्यते । वढई-O. चलइ । कुणेहि-B. विआणेहु, C. कुणेह, 0. मुणेहि । ९४. पढम पअ-C. पढम पढम पअ । भणह-B कुणह. C, सुणह। बीअंमि-A. बीअंमि, C. K. N. बीअम्मि। अट्ठारहहिँ-A. C. अट्ठारहइ , B. उट्ठारहहि । एरिसि-B. एरिसं,C. एरिस । कुणहु-C. N. कुणहु । पिंगलो-C. पिंगल । गंधाणा-A.O. गंधाण । रूअ-A. इअ, C. रूअणु, 0. रूओ। "चित्तहरोC. °हरणा, K. 'हलो। ९५. बीअक्खस्-A. विअ अक्खर B. वीए पुण । “दइ-A. C. "देइ, B. जमअं दइअ । अट्ठारहइB. अट्ठारहहि, C. अठ्ठारहइ, 0. अट्ठारहउ। ६५-C. ६८
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