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________________ ५६७ प्राकृतपैंगलम् के छन्दों का अनुशीलन को ज्यों का त्यों ले लिया गया है । जैसा कि हम संकेत कर चुके हैं यहाँ अतुकांत संस्कृत वृत्तों का भी तुकांत रूप मिलता है, जिसमें प्रथम-द्वितीय और तृतीय-चतुर्थ दोनों स्थानों पर भिन्न भिन्न तुक मिलती है। राजशेखर के कर्पूरमंजरी सट्टक से उद्धृत प्राकृत पद्य ही ऐसे हैं, जिनमें तुक नहीं मिलती । अन्यत्र सर्वत्र लक्षण-पद्य तथा उदाहरण-पद्य दोनों में तुक नियमतः पाई जाती है। यह प्रथा मध्ययुगीन हिंदी कविता में भी देखी जा सकती है और इसका एक रूप मैथिलीशरण गुप्त के तुकांत वणिक वृत्तों में भी मिलेगा । प्राकृतपैंगलम् के द्वितीय परिच्छेद में उल्लिखित वर्णिक छन्दों का विवरण निम्न है : उक्ता वर्ग - (१) श्री छन्द (एक गुरुऽ). अत्युक्ता वर्ग - (२) काम छन्द (गागा 55), (३) मधु छंद (ल ल ।) (४) मही छंद (ल गा 15), (५) सारु छन्द (गाल 5). मध्या वर्ग - (६) ताली छन्द (गा गा गा 555), (७) प्रिया (गा ल गा sis), (८) शशी (ल गा गा ।55), (९) रमण (ल ल गा ॥5), (१०) पंचाल (गा गा ल 5s), (११) मृगेंद्र (ल गा ल ।।), (१२) मंदर (गा ल ल ), (१३) कमल (ल ल ल II). प्रतिष्ठा वर्ग :- (१४) तीर्णा (मल), (१५) धारी (र ल), (१६) नगाणिका (ज ग). सुप्रतिष्ठा वर्ग :- (१७) संमोहा (म गा गा), (१८) हारी (त गा गा), (१९) हंस (भ गा गा), (२०) यमक (न ल ल), गायत्री वर्ग :- (२१) शेष (म म), (२२), तिल्ल या तिलका (स स), (२३) विज्जोहा (र र), (२४) चतुरंसा (न य), (२५) कामावतार (त त), (२६) शंखनारी (य य), (२७) मालती (ज ज), (२८) दमनक (न न). उष्णिक् वर्ग :- (२९) समानिका (र ज गा), (३०) सुवास (न ज ल), (३१) करहंच (न स ल), (३२) शीर्षरूपक (म म गा). अनुष्टुप् वर्ग :- (३३) विद्युन्माला (म म गा), (३४) प्रमाणिका (ज र ल गा), (३५) मल्लिका (र ज गा ल), (३६) तुंग (न न गा गा), (३७) कमल (न स ल गा). बृहती वर्ग :- (३८) महालक्ष्मी (र र र), (३९) सारंगिका (न य स) (४०) पाइत्ता (म भ स) (४१) कमल (न न स), (४२) बिंब (न स य), (४३) तोमर (स ज ज), (४४) रूपमाला (म म म). पंक्ति वर्ग :- (४५) संयुता (स ज ज गा), (४६) चंपकमाला (भ म स गा), (४७) सारवती (भ भ भ गा), (४८) सुषमा (त स भ गा), (४९) अमृतगति (न ज न गा). त्रिष्टुप् वर्ग :- (५०) बंधु (भ भ भ गा गा), (५१) सुमुखी (न ज ज ल गा) (५२) दोधक (भ भ भ गा गा), (५३) शालिनी (म त त गा गा), (५४) दमनक (न न न ल गा), (५५) सेनिका ( र ज र ल गा), (५६) मालती (म म म गा गा), (५७) इन्द्रवज्रा (त त ज गा गा), (५८) उपेंद्रवज्रा (ज त ज गा गा) (५९) उपजाति (इन्द्रवज्रा और उपेंद्रवज्रा का मिश्रण). जगती वर्ग :- (६०) विद्याधर (म म म म), (६१) भुजंगप्रयात (य य य य), (६२) लक्ष्मीधर (र र र र), (६३) तोटक ( स स स स), (६४) सारंगरूपक (त त त त), (६५) मौक्तिकदाम (ज ज ज ज), (६६) मोदक (भ भ भ भ), (६७) तरलदयनी (न न न न), (६८) सुंदरी (न भ भ र). अतिजगती वर्ग :- (६९) माया (म त य स गा), (७०) तारक (स स स स गा), (७१) कंद (य य य य गा), (७२) पंकावली (भ न ज ज ल). शक्वरी वर्ग :- (७३) वसंततिलका (त भ ज ज गा गा), (७४) चक्रपद (भ न न न ल गा). अतिशक्वरी वर्ग :- (७५) भ्रमरावली (स स स स स), (७६) सारंगिका (म म म म म), (७७) चामर (र ज र ज र) (७८) निशिपाल (भ ज स न र) (७९) मनोहंस (स ज ज भ र), (८०) मालिनी (न न म य य, ८७), (८१) शरभ (न न न न स, ८-७). अष्टि वर्ग :- (८२) नाराच (ज र ज र ज गा, ८-८), (८३) नील (भ भ भ भ भ गा), (८४) चंचला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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