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प्राकृतपैंगलम्
[१.५६ ५५. उदाहरण:
कोई कलहांतरिता नायक को बुलाने के लिए सखी को भेजते समय कह रही है; 'जिसके बिना जिंदा नहीं रहा जा सकता, वह कृतापराध होने पर भी मनाया ही जाता है। बताओ तो सही, ऐसा कौन होगा, जो नगर में आग लगने पर भी आग को नहीं चाहता ।
टिप्पणी-जिविज्जइ-अणुणिज्जइ । दोनों कर्मवाच्य वर्त० प्र० पु० ए० व० के रूप हैं । कआवराहो < कृतापराधः । पत्ते । प्राप्ते । णअरडाहे 2 नगरदाहे । इसकी भाषा भी परिनिष्ठित प्राकृत है।
सत्तगणा दीहंता जो ण लहू छ? णेह जो विसमे ।
तह गाहे वि अ अद्धे छटुं लहुअं विआणेहु ॥५६॥ [गाहा] ४६. गाथा के गणनियम का संकेत करते हैं :
गाथा में सात दीर्घात गण (चतुष्कल गण) होते हैं। इनमें छठा गण या तो जगण (151) होता है, या नगण और लघु (।।।।) । इसके विषम गणों (प्रथम, तृतीय, पंचम, सप्तम गणों) में कभी भी जगण न हो । गाथा के द्वितीयार्ध में छठा गण एकलघु जानना चाहिए ।
टिप्पणी-दीहंता<दी(ताः (अ+अं < अं संधि के लिए दे०६ ४४) ।
छट्ठ < षष्ठे (छट्ठ+शून्य, अधिकरण ए० व०; छ8 के लिए दे० ६ ५२ । विआणेहु-वि+आण(जाण)+हु, आज्ञा म० पु० ब० व० ।।
सव्वाए गाहाए सत्तावण्णाइ होति मत्ताइँ ।
पुव्वद्धमि अ तीसा सत्ताईसा परद्धमि ॥५७॥ [गाहा] ५७. सभी गाथाओं में ५७ मात्रा होती हैं । पूर्वार्ध में ३० मात्रा होती हैं, उत्तरार्ध में २७ ।
टिप्पणी-सव्वाए, गाहाए; स्त्रीलिंग में संबंध कारक ए० व० का चिह्न 'ए' है। यह विभक्ति चिह्न करण, अपादान, सम्प्रदान-संबंध तथा अधिकरण चारों के ए० व० में पाया जाता है, तथा आकारांत, इकारांत, उकारांत तीनों के साथ होता है । दे० पिशेल $ ३७४,६ ३८५ ।
सत्तावण्णाइ-नपुंसक ब० व० रूप । 'सत्तावण्ण' के लिये दे० ६ ५१ ।
मत्ता'-'मत्ताइँ-मत्ताई' < मात्राः । यहाँ लिंग परिवर्तन हो गया है, संस्कृत 'मात्रा' स्त्रीलिंग है, पर यहाँ यह नपुंसक माना गया है।
पुव्वद्धम्मि, परद्धम्मि < पूर्वाधे, परार्धे (म्मि < स्मिन् अधिकरण ए० व०) । तीसा < त्रिंशत् (पिशेल $ ४४५, हेम० (१२८); हि० रा० तीस) ।
सत्ताईसा < सप्तविंशति (पिशेल ६४४५), प्राकृत में सत्तावीसं (अर्धमा०), सत्तवीसं (अर्ध०) सत्तावीसा (हेम०) रूप मिलते हैं। सत्ताईसा रूप पिशेल ने केवल अपभ्रंश में माना है तथा इसका उदाहरण प्राकृतपैंगलम् से ही दिया है। टेसिटोरी ने भी 'सत्तावीस' रूप का ही संकेत किया है, दे०६८०; हि० रा० सत्ताईस ।
सत्ताईसा हारा सल्ला जस्संमि तिण्णि रेहाइँ ।
सा गाहाणं गाहा आआ तीसक्खरा लच्छी ॥५८॥ [गाहा] ५६. ण लहू A. D. ण लहु; C. णा लहु । णेह-D. णेण । छ8-0. छठ्ठ । ५७. सत्तावण्णाइ-C. सत्तावण, D. सत्तावण्णाए । होंति-D. हुंति । मत्ताइँ-C. मत्ताई, D. मत्ताए,-0. मत्ताइ । पुव्वद्धंमि-D. पुव्वद्धम्मि । सत्ताईसा-C. सत्ताइसा । D. सत्तावीसा । परद्धंमि-C. परद्धाऐ । ५८. सत्ताईसा-A. सत्ताइसा । रेहाइँ-A रेहाई, C. रेहेई, D. रेहाए, K. रेहाई, ०. रेहाइ । गाहाणं-C. गाहाण । तीसक्खरा-C. तीसख्खरा, D. तीसष्षराहि । लच्छी-A. D. O. लछी (=लच्छी), C. सव्वा ।
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