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प्राकृतपैंगलम्
आरम्भ :
श्री गणेशाय नमः । ॐ नमो महेश्वराय । गौरीकल्पलताविभक्तवपुषं श्रीकंठकल्पद्रुमं भक्तानामचिरादभीष्टफलदं नत्वा सतां प्रीतये ॥ वेदे वृत्तमदीपयद् ग्रंथितवान् यो वृत्तरत्नावली श्रीमत्विगलनागराजरचनां व्याख्याति स श्रीपतिः ॥॥
अन्त :
तेनोपकाराय सतां विधाय टीकामिमामल्पगुणेन संतः । सैषा मदीया सदनुग्रहेण प्रमाणनीयेति कृतिः प्रसाद्या ॥ सागरसुत(? ता)विलोकनसादरनअ(? य)नांचलस्तरल(:) मधुरसुधाकरसोदरसुंदरवदनो हरिर्जयति ॥५॥ संवत् १८५७ समय पुस सुदी त्रीवदश । प्राकृतपैंगलम् के हस्तलेखों का परस्पर सम्बन्ध
१०. प्रा० पैं० के जिन हस्तलेखों की उपलब्धि हमें हुई है, तथा जिनकी जानकारी कलकत्ता संस्करण के आधार पर प्राप्त होती है, उन्हें पाठान्तरों, क्षेपकों तथा पद्यक्रम की दृष्टि से हम निम्न वर्गों में बांट सकते हैं।
प्रथम वर्ग-इस वर्ग का प्रमुख प्रतिनिधित्व हमें जैन उपाश्रय, रामघाट से प्राप्त हस्तलेख C करता है । कलकत्ता संस्करण के पाठान्तर में दिये हस्तलेख A. B. C. जिन्हें मैं K (A), K (B), K (C) संकेतित कर रहा हूँ, पाठान्तर, प्रक्षेप आदि की दृष्टि से इससे घनिष्ठतया सम्बद्ध हैं । इनमें भी हमारा C कलकत्ता के K (A) से प्रायः शत प्रतिशत रूप में मिलता है। K (B) तथा K (C) सम्भवतः K (A) या उसके किसी अन्य रूप से प्रतिलिपीकृत होने के कारण लिपिकारों की त्रुटियों के फलस्वरूप कतिपय स्थलों पर कुछ भिन्नता प्रकट करते हैं, फिर भी वे निश्चित रूप से इसी वर्ग के हैं। निम्न पाठान्तरों के कतिपय निदर्शन से यह सम्बन्ध-स्थापन पुष्ट किया जा सकता है :
होइ (१.११७)-C, K (A), K (B), K (C) लोअ । कहिज्जसु (१.११७)-C, भणिज्जइ, K (A) भणिज्जसु । उट्टवहु (१.११८)-C, K (A) संठवहु । सीस (१.११९)-C, K (A) अंग, K (B), K (C) अङ्ग । णच्च (१.११९)-C. ण, K (A) णट्टा । णाचंता (१.११९)-C, K (A) णच्चंता । पाविज्जे (१.११९)-C, K (A) पाविज्जे; किन्तु हमारा B. पाइए, K. पाविज्ज । वढइ (१.१२०)-C, K (A), K (B), K (C) चलइ । अक्खरउ (१.१२१)-C, K (A), K (B), K (C) अक्खरह । चल (१.१२१)-C, K (A) चलइ । घटइ (१.१२१)-C, K (A), K (B), K (C) घलइ । दुदुइ (१.१२१)-C. K. (A) दुइ । विहण्णरु (१.१२२)-C, K (A), K (C) विहण्णल । सरह (१.१२२)-C, K (A) सुरहु । जंगम सर वि लहइ (१.१२३)-C, K (A) अ अ गह लुठ लहइ, K (B) अजंग णूठ वि लहइ । किसणु (१.१२३)-C, K (A) किसउणु । गरुड (१.१२३)-C, K (A) गरल, K (B), K (C) गरुण । मणोहरु (१.१२३)-C, K (B) पओहरु । हीरु (१.१२३)-C, K (A) हारु । पज्झडिअ (१.१२५)-C, K (A), K (B), K (C) पज्झलिअ । गोडाहिवइ (१.१२५)-C, K (A), K (B), K (C) गउलाहिवइ । ओड्ड (१.१२६)-C, K (A) दंड ।
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