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________________ अभिधान (शब्दकोष) ३४७ Vदलमल दबा देना, दल देना, दरमरु | दुक्कल (द्वि-कल) १.१०७ द्विमात्रिक दो (द्वौ) १.८, २.२९ दो (दलमलिता) (भूत० कर्म० कृदंत | दुक्खा (दुःख) १.११९, २.२० *दोअइ १.१५३ छंद का नाम स्त्री०) १.९२ दरमरि १.१४७ दुज्जे २.९२ *दोधअ (दोधक छंद) २.१०४ एक वर्णिक *दरिओ (दृप्तः) १.११४ काव्य छंद का | दुज्जण (दुर्जन) २.९७ छंद का नाम भेद दुट्ठ (दुष्टा) १.११९ दुष्ट दोस (दोष) १.६५, १.८४ दल १.१६६ अर्धाली, छंद का अर्धभाग | दुण्णा (द्विगुणा) १.४२ हि० दुगना, रा०| दोसहीण (दोष-हीन) १.१३४ Vदल दलना, मसलना, दलिअ २.७१ | दूणा *दोहा १.७८, १.१३३ मात्रिक छंद का नाम दह (दश) १.५४, २.८२, २.१५४, २.१५८ दुण्णो २.१०६ दुग्गुरु २.१०० (ध) आदि, दस दाण (दान) २.१५१ दुहुइ (द्वौ द्वौ) १.१२१ | *धअ (ध्वजः) १.१८ आदिलघु त्रिकल गण दाणव (दानव) १.१५५, २.१५९ दैत्य जाति दुद्ध (दुग्ध) २.९३ दूध का नाम (15) तु० राज० धज, धजा, विशेष *दुम्मिल १.१९६, १.१९७ छंद का नाम झंडा दारा १.१०७ स्त्री दुरंत १.३५, २.२२, २.१३४ कठिन, दुःखद | धण (धन) १.३८, धणु १.३७ आदि, धणमंत दिअ (दिवं) १.१०६, (देहि, दत्तः)१.२०२, दुरित्त (दुरित) १.१०४, २.१६, २.१५५ २.११७ २.४८, २.२१२, (द्विजाः) | पाप, दु:ख धणु (धनुष्) धनुष १.१६१, (द्विजः) २.८४, (दीयतां, दुब्बल (दुर्बल) १.११६ धणुं १.६७, धणू २.१०९, धणूहा देयः) २.१७८ दुब्बरि (दुर्बल) २.१३४ १.१२६, धणुद्धरु १.१७९, धणुहरं दिआव १.१९० दुहु (द्वौ) १.१०९ दो दिआवा १.२०९ दूण (द्विगुणित) २.६८ दुगना धणेसा (धनेश) १.२०९ कुबेर दिअ २.४८ चतुष्कलगण | Vदे (सं०/दा) हि० देना, रा० देबो-वो, दे | धण्ण (धन्य) २.३६ दिअवरगण (द्विजवरगण) १.८६ (वर्त० प्र० ए०) १.३७, देहि | धम्म (धर्म) १.१२८, २.३६, २.१०१, दिआणिसं (दिवानिशं) १.७२ दिनरात (आज्ञा० म० ए०) १.९, देही २.१०७ दिक्खिहा (दीक्षिता) २.१०७ २.१५७, देहु (आज्ञा० म० पु० ब०] *धम्मो (धर्मः) १.१५ षट्कल गण का नाम दिग (दिक्) १.१४७ दिशा व०) १.१४, देह १.७८, १.१८१, | Vधर (V-) रखना, धरना, धरइ २.१९१, दिगंतर १.१३५ दिशाओं का मध्य देऊ २.४, देउ १.२०७, दिज्जसु धरि (आज्ञा म० ए०) १.९९, धरु दिजवर (द्विजवर) १.१५८ सर्वलघु चतुष्कल (विधि म० ए०) १.३९, दिज्जे २.१६०, धरहि १.१९९, धरिज्जे दिट्ठ (Vदृश् + क्त, दृष्ट) १.२२, २.७० २.१०१, दिज्जउ २.१०५, दिज्जहु २.२०७, धरीजे २.१०१, धरिअ दिट्ठिअ (दृष्ट) २.९९ १.४२, दिज्जही २.५८, दिज्जइ २.८१, धरीआ २.१२६, धरे दिढ (दृढ) १.१०६, १.१४६ मजबूत (कर्मवाच्य वर्त० प्र० ए०) (दीयते) १.१८०, धारिअ २.१०४, धरि दिहा (दिशा) २.१६५ १.३६ दिज्ज २.१५९, देइ (पूर्व०) १.८६. धारे २.२०७ *दीपक्क १.१८१ एक मात्रिक छंद का नाम (पूर्वकालिक रूप) १.९, १.४२, धरणि (धरणी) १.९२, १.२०४ पृथ्वी दीव (दीप) २.७३ दीपक दइ १.९४, दिण्हउ १.१२८, दिण्णा | धरणी (धरणी) १.१८० पृथ्वी Vदीस (Vदृश् + कर्मवाच्य) दीस १.१७६, २.१५६, २.११२, दिज्जिआ | Vधर (V) धरणु १.१०४ धारण करनेवाला १.२०९ दीसए २.१६८ २.१६२ *धवल १.१२३ छप्पय छन्द का भेद दीसा (दिशा) १.९८ देअ (देव) १.८२, २.१२३ धवल २.२०५ सफेद दीहंता (दीर्घाताः) १.५६ देओ (देवः) १.३ *धवलक (धवलक) २.१९२ एक वर्णिक दीहरा (दीर्घ) १.१९३ Vदेक्ख (V*दृक्ष्) देखना, देक्ख १.१०९, छंद दीहा (दीर्घ) २.३ देक्खु २.१४२, देखिअ १.३८, | Vधस धंसना, प्रवेश करना दीहो (दीर्घः) १.२, १.७ | देक्खीआ २.११३ दिखावइ १.३८ धसइ १.१६०, १.२०४ धसउ १.१०६ दु-(द्वि-) हि-रा० दु-दो दुइ, दु-(मत्तो)| देव १.१५५, २.१०१ देवता धहधह १.१९० अग्नि के जलने की आवाज १.२, १.१२, २.३७ देवई (देवकी) २.४६, २.१४७ *धाई (धात्री) १.६० गाथा का भेद दुअउ (द्वौ) १.३५ दो देस १.१२८ देश Vधाव (Vधाव्) दौड़ना, धावइ २.१८५, दुइ (द्वे-द्वौ) १.३५ दो *देही (देवी) १.६० गाथा का भेद धावंता २.६७, धाइ २.१५९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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