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________________ नाम ३४० प्राकृतपैंगलम् किल २.१२० निश्चयार्थक अव्यय | कुलसारु (कुलसार:) १.१०१ श्रेष्ठ | खत्ति (क्षत्रिय) १.११७, २.७१ क्षत्रिय किवाण (कृपाण) २.१६९ खड्ग | *कुसुमो (कुसुम) १.१६ पंचकल गण के | खत्तीअ २.२०७ खत्तिउ १.२०५ क्षत्रिय *किसणु १.१२३ छप्पय छंद का भेद भेद का नाम (151) खत्ति (क्षत्रिया) २.६६ कित्ती (कीतिः) १.५३, १.७७, २.६७, | कुसुम १.६७ (अनेकशः), फूल खत्तिणी (क्षत्रिया) १.६४, १.८३ २.१४२ (अनेकशः) कीति, यश | *कुसुमाअरु (कुसुमाकरः) १.१२३ छप्पय |*खमा (क्षमा) १.६० गाथा का भेद *किलाचक्क (क्रीडाचक्र) २.१८२ छंद का | छंद का भेद खर १.३६, १.६७, २.१९३ कठोर, तीक्ष्ण कुहर १.९३५ गुफा खर १.१२२ छप्पय छंद का भेद Vकील (/क्रीड्) खेलना कीलसि (वर्त० कुहू (-रव) २.१३४ कोयल की आवाज Vखल ( स्खल) खिसकना, स्खलित होना; म० ए०) १.७, कीलउ २.१३६, केअइ (केतकी) २.९७, २.१९७, २.२०३ खलइ १.१६०. खलिअ २.८३, कीलंता २.१८१ पुष्पविशेष खलिआ २.१८७ कुंजर १.१५१, २.५९, २.१२८, २.१३०, | केउर (केयूर) १.३१ दीर्घ अक्षर (5) खल १.१६९ दुष्ट हाथी केलास (कैलाश:) १.७३ Vखस खिसकना, गिरना, खस १.३८,खसइ * कुंजरू १.१२२ छप्पय छंद का भेद केसर २.१६३ पराग १.१६० *कुंडल १.२१ प्रथम द्विकल गण (5) का | | केसि २.७१ केशी नामक दैत्य Vखा (Vखाद्) खाना, खा २.९३, खाए नाम केसु (किंशुक) १.१३५, २.१४४, २.१९७, २.१८३, खाहि २.१२०, खज्जए कुंडलिआ १.१४६ छन्द का नाम २.२०३ टेसू के फूल २.१०७ कुंत २.१७१ भाला केसे १.९७ क्रियाविशेषण, कैसे *खीर (क्षीर) १.७५ स्कंधक छंद का भेद *कुंतअरु १.१७९ चतुष्कल गण का नाम Vखुड (सं० Vक्षुट्) खण्डित होना, चोट *कुंतीपुत्त २.८०, २.११२, २.१८० द्विगुरु | कोयल पहुँचना, खुडिअ (भूत० कर्म० चतुष्कल गण, कर्ण *कोइल (कोकिल) १.९३ रोला छंद का कृ०) १.११ कुंद (कुंदः) १.७७, २.६५ कुंद पुष्प भेद | Vखुद खंदना, खुंदि २.१११ "कुंद १.९२ रोला छंद का भेद, १.१२२ । | कोट्ठ (कोष्ठ) १.४४, १.४५, १.४६, हि० Vखुंद (खुद्) खोदना, खुदि १.२०४ छप्पय छंद का भेद कोठा, रा० कोठो **कुंभ १.७५ स्कंधक का भेद कोडी (कोटि-का) १.५० (करोड) | खुर १.२०४ घोड़े के खुर कुगति १.९ बुरी चाल कोमल २.१४० खुरसाण १.१५१, देश का नाम कुटुम्बिणि (कुटुम्बिनी) २.९५ पत्नी कोल (कौल) २.१०७ वराहावतार, सूअर खुरासाण १.१५१ खुरासान, देश का नाम Vकुण (सं०/कृ-पंचम गण) करना, कुणइ | कोह (क्रोध) १.९२, १.१०६ गुस्सा | खुलणा (देशी, क्षुद्रः) १.७ रा० खोळ्ळो ; (वर्त० प्र० ए०) (कृणोति) १.३, १.१३४, कुणंति २.११७, कुणेहि (ख) Vखुह (Vक्षुभ्) क्षुब्ध होना, खुहिअ १.१५१ (आज्ञा म० ए०) (कण, *कुणहि), | खजण (खजन) १.१३२, २.१५३ पक्षी- Vखेल खेलनाः खेलंत १.१५७ १.९३, कुणह (आज्ञा म० ब०) विशेष खेह २.१११ धूल (कृणुत) १.२०, १.५९, कुणहु | "खजा १.१५८, १.१५९ छन्द का नाम खोडउ (देशी) १.११६ लँगडा रा० खोड्यो (आज्ञा म० ब०) १.९४, कुणेहु | खंड १.१०८, २.१०७ टुकड़ा १.१४८ Vखंड टुकडे करना, खंडिआ २.७९ (ग) Vकुप्प (कुप) नाराज होना, कुप्पिअ २.१३० खंडी (खंडिनी) २.३४ खंडन करनेवाली गंगा १.८२ गंगा नदी कुमार २.११० स्वामिकार्तिकेय खंडिनी (खंडिनी) २.६९ खंडन करने वाला गंज हरा देना, गंजिअ १.१२६, गंजिआ कुमुअ (कुमुद) २.२०५ कुमुदिनी *खंध (स्कंधक) १.५१, खंधआ (स्त्रीलिंग) २.१२८ कुम्म (कूर्म) २.५९ कच्छप १.७३, खंधाण १.७५, छन्द का गंड १.२७ आदि गुरु चतुष्कल (51) "कुररी १.६१ गाथा का भेद नाम *गंडआ (गंडका) २.१९८ छंद का नाम कुल १.१८२, १.२०७ वंश खग्ग (खड्ग) १.११, १.७१, १.१०६, । *गंडो (गण्ड:) १.११३ काव्य छंद का भेद कुल (कौल) २.११५ १.१८८, २.१६१ खाँडा, खड्ग २.१५१ खाडा, खा गंध १.३२, २.१४१, २.२०० (अनेकशः), , कुलमंती (कुलवंती) १.६३ तु० राज० | खडा (षट्) २.५१ छह लघुवर्ण (1) कलवंती: कलीन. पतिव्रता राखणा (क्षण) १.२०४, २.१४४, २.१५९ |गंध (गंध) ११०१ दैत्य का नाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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