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________________ पद्यानुक्रमणिका २.२५ २.१६९ १.९ २.१२५ अइचल जोव्वणदेहधणा २.१०३ | कणेक्क पढम दिअ सरस २.२१२ | चंदा कुंदा ए कासा २.५६ अक्खर उप्परि दुण्णा १.४२ | कण्णा दुण्णा हार एक्को २.१०६ चंदा कुंदा कासा हारा १.७७ अक्खर संखे कोट्ठ करु १.४४ कण्णो पइज्ज पढमे जगणो २.१५० चंदो चंदण हारो ताव अ १.५३ अक्खरा जे छआ पाअपाअ ट्ठिआ २.४५ कण्णो पढमो हत्थो जुअलो चउ अत्थरके पत्थर किज्जसु २.११९ अजअ वेआसी अक्खरउ १.१२१ कत्थवि संजुत्तपरो चरण गण विप्प पढम लइ थप्प २.६२ अजअ विजउ बलिकण्ण १.१२२ कमलणअणि अमिअवअणि २.५७ चलइ चल वित्त एसो २.८५ अबुह बुहाणं मज्झे कमल पभण चल गुज्जर कुंजर तेज्जि २.१३० अमिअकर किरण धरु फुल्लु २.१९१ कमलभमरजीवो | चलंत जोह मत्त कोह अरेरे वाहहि कान्ह कमलवअण तिणअण २.१३८ चउ लहु कत्थवि पसर जहिँ १.७६ अवलोआणं भणि सुच्छंदं मण २.१९४ कर पंच पसिद्ध विलद्धवरं २.१५४ चउमत्ता अट्ठगणा १.७३ अहि ललइ महि चलइ गिरि १.१६० करपाणिकमलहत्थं १.२४ चउमत्त करह गणा १.१२५ अहिगण चारि पसिद्धा करही गंदा मोहिणी चारुसेणि चउपइआ छंदा भणइ फर्णिदा आइ अंत दुहु छक्कल १.१०९ तह भद्द १.१३६ चउआलिस गुरु कव्वके १.१२० आइकव्व उक्कच्छ किउ १.८८ करा पसरंत बहू गुणवंत २.५५ चउ अग्गल चालीस गुरु १.११० आइहि सगणा बेवि गण २.२०६ क करिअ जसु सु गुण जुअ २.१९२ चल कमलणअणिआ २.८३ आइहि जत्थ पाअगण पअलिअ २.२०२ कामावआरेण पाएण २.५० चलि चूअ कोइलसाव २.८७ आइ रगण हत्थ काहल ताल २.१८४ | कित्ती वाणी माला साला २.१२१ चामर काहल जुग्ग ठवीजे २.१०४ आइग इंदु जत्थ हो पढमहि १.१५२ कित्ती सिद्धी माणी रामा चारि हार किज्जही तिण्णि गंध २.५८ आइहि अंते हारे सजुत्ते २.३५ | कुंजरा चलंतआ २.५९ चारी हारा अट्ठा काला २.२७ इंद उविंदा एक्क करिज्जसु २.११८ | कुंतअरु धणुद्धरु हअवरु चारी कण्णा पाए दिण्णा इंदासण अरु सूरो कुंती पुत्ता जुअ लहिअं २.८० चामर पढमहि पाप गणो २.१४८ इहिकारा बिंदुजुआ कुंतीपुत्ता तिण्णा दिण्णउ मंथा २.१८० चामरस्स बीस मत्त तीणि २.१५८ ईसारोसप्पसादप्पणदिसु बहुसो २.२०१ | कुंतीपुत्ता पंचा दिण्णा २.११२ चारि पाअ भण कव्वके १.१०८ क उआसीण जइ मित्त कज्ज १.३८ कुंद करअल मेहतालंक चुलिआला जह देह किमु १.१६७ उच्चउ छाअण विमल घरा १.१७४ | खडावण्ण बद्धो भुअंगापअद्धो २.५२ चेउ सहज तुहुँ चंचला उदंडा चंडी दूरित्ताखंडी २.३४ खंजणजुअल णअणवर २.१५३ छक्कलु आइहिँ संठवहु १.१०३ उद्दिट्ठा सरि अंका थप्पहु १.४८ खुर खुदि खुदि १.२०४ छक्कलु चक्कलु तिण्णि कलु१.८५ उद्दिट्टा सरि अंका दिज्जसु १.४५ | गअगअहि ढुक्किअ तरणि १.१९३ छक्कलु मुह संठावि १.१५४ उम्मत्ता जोहा ढुक्कंता २.६७ गारह मत्त करीज अंत १.१७७ छप्पअ छंद छइल्ल सुणहु १.१०५ उम्मत्ता जोहा उठे २.१७५ गउरिअकंता अमिणउ संता २.४८ छब्बीसक्खर भमर हो ए अत्थीरा देक्खु सरीरा २.१४२ / गज्जे मेहा णीलाकारउ सद्दे २.१८१ | छब्बीसा सत्तसआ तह एक्के जे कुलमंती १.६३ | गज्जउ मेह कि अंबर सावर २.१३६ जं जं आणेइ गिरि १.७४ एहु छंद सुलक्खण आणइ १.२०८ | गण चारि पंचक्कल १.९१ | जंणच्चे विज्जू मेहंधारा २.८९ ओग्गरभत्ता रंभअपत्ता गण विप्प सगण जं फुल्लु कमलवण वहइ लहु २.२१३ कंस संहारणा पक्खिसंचारणा २.४६ गुरुजुअ कण्णो गुरु १.१७ जं धोअंजणलोललोअणजुअं २.१८९ कआ भउ दुब्बरि तेज्जि २.१३४ गुरुजणभत्तउ बहु गुणजुत्तउ २.६१ जअइ जअइ हर वलइअ २.२१५ कण्ण चलते कुम्म चलइ १.९६ गुरु लहु णहि णिम्म णिम्म १.१८९ ज इंदासणा एक्क गण्णा २.१८२ कण्ण पत्थ ढुक्कु लुकु सूर २.१७३ गुणा जस्स सुद्धा वह रूअ मुद्धा २.५३ जइ दीहो वि अ वण्णो १.८ कण्णा दिण्णा अंते एक्का २.१५६ - गोरी २.२ जत्ते सव्वहि होइ लहु १.१२४ कण्णा दुण्णा चामर सल्ला २.१४१ | घर लग्गइ अग्गि जलइ १.१९० । जत्थ जत्थ पाविज्जइ भाग १.४१ १.१७९ २.१२२ १.८१ १.५० २.९३ १.१८३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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