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________________ ५८ अंगविज्जापइण्णयं (स्नान-चूर्ण बनानेवाला जिसे चुण्णवाणिय भी कहते थे), सूत मागध, पुस्समाणव, पुरोहित, धम्मट्ठ (धर्मस्थ), महामंत (महामात्र), गणक, गंधिक-गायक, दपकार, बहुस्सुय (बहुश्रुत) । इस सूची के पुस्समाणव का उल्लेख पृष्ठ १४६ पर भी आ चुका है, और यह वही है जिसका पतंजलि ने 'महीपालवचः श्रुत्वा जुघुषुः पुष्यमाणवाः' इस श्लोकार्ध में उल्लेख किया है। ये पुष्यमाणव एक प्रकार के बन्दीजन या भाट ज्ञात होते हैं जो राजा की प्रशंसा में कुछ श्लोकपाठ करते या सार्वजनिक रूप से कुछ घोषणा करते थे । यहाँ 'महीपालवचः श्रुत्वा' यह उक्ति संभवतः पुष्यमित्र शुंग के लिए है। जब उसने सेना-प्रदर्शन के व्याज से उपस्थित अपने स्वामी अंतिम मौर्य राजा बृहद्रथ को मार डाला, तब उसके पक्षपाती पुष्यमाणवों ने सार्वजनिक रूप से उसके राजा बन जाने की घोषणा की । पतंजलि ने यह वाक्य किसी काव्य से उद्धृत किया जान पड़ता है; अथवा यह उसके समय में स्फुट उक्ति ही बन गई हो । पुष्यमाणव शब्द द्वयर्थक जान पड़ता है ! उसका दूसरा अर्थ पुष्य अर्थात् पुष्यमित्र के माणव या ब्राह्मण सैनिकों से था (पृष्ठ १६०) ।। दर्पकार का अर्थ स्पष्ट नहीं है। संभवतः दर्पकार का आशय अपने बल का घमंड करने वाले विशेष बलशाली व्यक्तियों से था जिन्हें वंठ कहते थे और जो अपने भारी शरीर बल से शेर-हाथियों से लड़ाए जाते थे । गन्धिक-गायक भी नया शब्द है । उसका आशय संभवतः उस तरह के गवैयों से था जिनमें गान विद्या के ज्ञान की सगन्धता या कौशल अभिमान रहता था । सूची को आगे बढ़ाते हुए मणिकार, स्वर्णकार, कोट्टाक (बढई; यह शब्द आचारांग राशर में भी आया है, तुलना-संस्कृत कोटक, मानियर विलियम्स), वट्टकी (संभवतः कटोरे बनाने वाला), वत्थुपाढक (वास्तु पाठक, वास्तुशास्त्र का अभ्यासी), वत्थुवापतिक (वास्तुव्यापृतक-वास्तुकर्म करनेवाला) मंतिक (मान्त्रिक), भंडवापत (भाण्ड व्यापृत, पण्य या क्रय-विक्रय में लगा हुआ), तित्थवापत (घाट वगैरह बनाने वाला), आरामवावट (बागबगीचे का काम करने वाला), रथकार, दारुक, महाणसिक, सूत, ओदनिक, सामेलक्ख (संभवतः संभली या कुट्टनिओं की देख-रेख करने वाला विट्), गणिकाखंस, हत्थारोह, अस्सारोह, दूत, प्रेष्य, बंदनागरिय, चोरलोपहार (चोर एवं चोरी का माल पकड़ने वाला), मूलकक्खाणक, मूलिक, मूलकम्म, सव्वसत्थक (सब शस्त्रों का व्यवहार करनेवाला, संभवतः अय:शूल उपायों से वर्तने वाले जिन्हें आय:शूलिक कहा जाता था) । सारवान व्यक्तियों में हेरण्णिक, सुवण्णिक, चन्दन के व्यापारी, दुस्सिक, संजुकारक (संजु अर्थात् संज्ञा द्वारा भाव ताव या मोल-तोल करनेवाले जौहरी, जो कपड़े के नीचे हाथ रखकर रनोंका दाम पक्का करते थे), देवड (देवपट अर्थात् देवदूष्य बेचनेवाले सारवान व्यापारी), गोवज्झभतिकारक (= गोवह्यभृतिकारक, बैलगाडी से भृति कमाने वाला, वज्झ = सं० वह्य), ओयकार (ओकस्कार-घर बनाने वाला), ओड (खनन करनेवाली जाति) । गृहनिर्माण संबंधी कार्य करनेवालों में ये नाम भी हैं-मूलखाणक (नींव खोदनेवाले), कुंभकारिक (कुम्हार जो मिट्टी के खपरे आदि भी बनाते हैं), इड्डकार (संभवतः इष्टका, ईंटे पाथने वाले), बालेपतुंद (पाठान्तर-छावेपर्बुद अर्थात् छोपने वाले, पलस्तर करने वाले), सुत्तवत्त (रस्सी बटने वाले; वत्ता = सूत्रवेष्टन यंत्र, पाइयसद्दमहण्णवो), कंसकारक (कसेरे जो मकान में जड़ने के लिए पीतल-ताबें का सामान बनाते थे), चित्तकारक (चितेरे जो चित्र लिखते थे), रूवपक्खर (रूप = मूर्ति का उपस्कार करने वाले), फलकारक (संभवतः लकड़ी के तख्तों का काम करने वाला), सीकाहारक और मड्डुहारक-इनका तात्पर्य बालू और मिट्टी ढोनेवालों से था; सीक = सिकता, मड्ड = मृत्तिका । कोसज्जवायक (रेशमी वस्त्र बुनने वाले), दिअंडकंबलवायका (विशेषनाप के कम्बल बुनने वाले); कोलिका (वस्त्र बुनने वाले), वेज्ज (वैद्य), कायतेगिच्छका (काय-चिकित्सक), सल्लकत्त (शल्यचिकित्सक), सालाकी (शालाक्य कर्म, अर्थात् अक्षि, नासिका आदि की शल्य चिकित्सा करने वाले), भूतविज्जिक (भूतविद्या या ग्रहचिकित्सा करने वाले) कोमारभिच्च (कुमार या बालचिकित्सा करने वाले), विसतित्थिक (विषवैद्य या गारुडिक), वैद्य, चर्मकार, हाविय-स्नापक, ओरब्भिक (औरभ्रिक गडरिये), गोहातक (गोघातक या सूना कर्म करने वाले), चोरघात (दंडपाशिक, पुलिस अधिकारी), मायाकारक (जादूगर), गौरीपाढक (गौरीपाठक, संभवतः गौरीव्रत या गौरीपूजा के अवसर पर पाठ करने वाले), लंखक (बांस के ऊपर नाचने वाले), मुट्ठिक (मौष्टिक, पहलवान), लासक (रासक, रास गाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001439
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size12 MB
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