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________________ विषयानुक्रम २७ ३२ बत्तीसवाँ धान्ययोनि अध्याय १६४-१६५ इस अध्याय में विविधजातीय धान्य-अनाज के नामोंका उल्लेख है ३३ तेत्तीसवाँ यानयोनि अध्याय १६५-१६६ इस अध्याय में प्राचीन काल में काम में लाये जानेवाले अनेकविध जलयान और स्थलयानों के नामों का उल्लेख पाया जाता है ३४ चौंतीसवाँ संलापयोनि अध्याय १६७-१६८ ३५ पैंतीसवाँ प्रजाविशुद्धि अध्याय १६८-१७० संततिविषयक फलादेश पृ० १६८-६९ में प्राकृत क्रियापदों का विपुल संग्रह है ३६ छत्तीसवाँ दोहद अध्याय १७०-१७२ पृ० १७१ में प्राकृत क्रियापदों का संग्रह है ३७ सैंतीसवाँ लक्षण अध्याय १७३-१७४ ३८ अड़तीसवाँ व्यंजनाध्याय १७४-१७५ ३९ उणचालीसवाँ कन्यावासनाध्याय १७५-१७६ ४० चालीसवाँ भोजनाध्याय १७६-१८२ इस अध्याय में विविध प्रकार के भोज्य पदार्थ एवं उत्सवादि के नाम हैं ४१ इकतालीसवाँ वरियगंडिकाध्याय १८२-१८६ इस अध्याय में मूर्तियों के प्रकार, प्राक्त क्रियापद, आभरण और अनेक प्रकार के रत-सुरत क्रीडाओं के नामों का संग्रह है ४२ बयालीसवाँ स्वप्नाध्याय १८६-१९१ ४३ तेंतालीसवाँ प्रवासाध्याय १९१-१९२ ४४ चौवालीसवाँ प्रवास अद्धाकालाध्याय १९२-१९३ ४५ पैंतालीसवाँ प्रवेश अध्याय १९३-१९४ इसमें अनेक प्रकार के यान भाण्डोपकरणादि के नामों का संग्रह है ४६ छियालीसवाँ प्रवेशनाध्याय १९५-१९७ ४७ सैंतालीसवाँ यात्राध्याय १९८-१९९ ४८ अड़तालीसवाँ जयाध्याय १९९-२०१ ४९ उनचासवाँ पराजयाध्याय २०१-२०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001439
Book TitleAngavijja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Jyotish, & agam_anykaalin
File Size12 MB
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